BJP National Executive: पीएम मोदी की चेतावनी के बाद क्या मुसलमानों के खिलाफ रुकेंगे भाजपा नेताओं के नफरती बयान

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कहा है कि पार्टी नेताओं को मुसलमान समुदाय के लोगों के प्रति अभद्र टिप्पणी करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में कई समुदाय भाजपा को वोट नहीं देते हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें (भाजपा कार्यकर्ताओं को) उनके प्रति अपमान नहीं दिखाना चाहिए, बल्कि बेहतर तालमेल स्थापित कर बेहतर व्यवहार बनाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने मुसलमानों में पसमांदा और बोहरा समुदाय के लोगों के ज्यादा करीब जाने की बात भी कही। इसके पहले प्रधानमंत्री ने हैदराबाद कार्यकारिणी में भी कुछ इसी तरह की बात कही थी। बड़ा प्रश्न है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस तरह का बयान क्यों देना पड़ा, और क्या उनके इन बयानों के बाद मुसलमानों के प्रति भाजपा नेताओं के नफरती बयानों में कमी आएगी पहले कही थी पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने की बात ध्यान देने की बात है कि पीएम की मुसलमानों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण सोच रखने की यह नसीहत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उस टिप्पणी के तुरंत बाद आई है, जिसमें एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि हिंदू समाज हजारों साल से गुलाम रहा है, अब उसमें जागृति आ रही है, जिसके कारण कभी-कभी हिंदू समुदाय की ओर से कुछ आक्रामक व्यवहार दिखाई पड़ जाता है। उन्होंने इसे ठीक तो नहीं बताया, लेकिन परोक्ष रूप से इस बात का समर्थन कर दिया कि हिंदू समुदाय का यह आक्रोश इतिहास को देखते हुए सही है। क्या मोदी का बयान भागवत से अलग लाइन पर है और क्या इसका यह अर्थ है कि दोनों संगठनों में दूरी बढ़ रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद कार्यकारिणी में पसमांदा मुसलमानों के प्रति सकारात्मक कार्यक्रम चलाकर उन्हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश करने की बात कही थी। इसके बाद कुछ कार्यक्रम कर मुसलमानों को भाजपा के साथ जोड़ने की कोशिश भी हुई और उसका कुछ लाभ पार्टी को गुजरात और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में मिलता भी दिखाई पड़ा, जहां मुस्लिम समुदाय के कुछ वोट भाजपा के खाते में आते दिखाई पड़े। लेकिन यह बात भी सही है कि पीएम की अपील के बाद भी कुछ भाजपा नेताओं ने मुसलमान और उनके धार्मिक प्रतीकों को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी की, जिससे देश में तनावपूर्ण माहौल बना। इसी कारण भाजपा को अपने दो वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता तक दिखाना पड़ गया। जी-20 बैठक भी है वजह दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह टिप्पणी क्यों की, इसे उनके आज के ही संबोधन में देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का बेहतर समय सामने आ रहा है। देश पूरी दुनिया में एक बेहतर स्थान पाने की ओर बढ़ रहा है। इसी साल भाजपा को जी-20 की मेजबानी भी करनी है, जिस समय पूरी दुनिया का ध्यान भारत पर होगा। ऐसे में प्रधानमंत्री कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी पार्टी की ओर से कोई ऐसा बयान दिया जाए, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब हो। चूंकि, पिछले साल पैगंबर मोहम्मद साहब पर कुछ भाजपा नेताओं के द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी के कारण भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था। कुछ मुस्लिम देशों ने भारत से अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी और कुछ ने भारत से होने वाले आयात पर पुनर्विचार करने तक की बात कह दी थी। ऐसे में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो रही है, वे नहीं चाहेंगे कि उनकी ही पार्टी के नेताओं के बयानों के कारण भारत की छवि खराब हो। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुसलमानों को लेकर विशेष टिप्पणी करनी पड़ी। भाजपा-संघ की लाइन अलग नहीं आरएसएस के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत और पीएम नरेंद्र मोदी के बयान किसी भी तरह एक दूसरे से अलग लाइन पर नहीं हैं, बल्कि दोनों एक ही विचार को पु्ष्ट करते हैं। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत इसके पहले भी मुसलमानों के बिना हिंदुस्तान के अधूरा होने की बात कह चुके हैं, पिछले दिनों वे इमामों से मुलाकात कर भी दोनों समुदायों को एक साथ लाने की पहल कर चुके हैं, ऐसे में उनके बयान को सकारात्मक दृष्टि से देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख ने अपने उसी इंटरव्यू में मुस्लिम समुदाय के लोगों से किसी भी अभद्र व्यवहार को सही नहीं कहा है, ऐसे में उनके स्पष्टीकरण के बाद शंका को कोई स्थान नहीं मिलना चाहिए। संघ नेता के मुताबिक, भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी ताकत बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है। देश के दोनों प्रमुख नेता यह मानते हैं कि देश की 15 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी को इस विकास से अलग-थलग करके देश को दुनिया की अंतरराष्ट्रीय ताकत नहीं बनाया जा सकता। यही कारण है कि दोनों ही नेताओं की ओर से बार-बार संघ और भाजपा को लेकर उनके मन में व्याप्त संदेह को दूर करने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि दोनों ही नेता अलग-अलग मंचों से एक ही तरह की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता हिंदू-मुसलमानों को एक साथ लाने के हिमायती हैं और यही बात दोनों नेताओं के बयानों में दिखाई पड़ रही है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 19:56 IST
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