Bihar: 'ईबीसी, विकास और शहाबुद्दीन', मोदी-शाह ने बताया किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी

प्रत्याशियों के नामांकन और तेजस्वी यादव के महागठबंधन का सीएम फेस घोषित होने के बाद पहले ही दिन चुनाव प्रचार में उतरे पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने बता दिया है कि एनडीए इस बार किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगा। दोनों दिग्गज नेताओं ने संकेत किया कि वे इस चुनाव में 'अति पिछड़ा, विकास और अपराध के विरोध' पर दांव लगाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अति पिछड़े समुदाय के सबसे बड़े नेता कर्पूरी ठाकुर के गांव से अपनी चुनावी यात्रा शुरू कर अति पिछड़े समुदाय को रिझाने का ही काम किया है। कर्पूरी ठाकुर के सम्मान में उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि उनके जैसे लोग राजनीति कर रहे हैं, और देश के सबसे ऊंचे पद पर बैठे हैं तो यह कर्पूरी ठाकुर के प्रयासों का ही परिणाम है। पीएम की ये बातें अति पिछड़े समुदाय में भावनात्मक असर पैदा करने वाली हैं। लेकिन भाजपा ने अपनी चुनावी रैलियों में केवल अति पिछड़े समुदाय को ही नहीं साधा है। भाजपा नेताओं ने विकास को भी पूरी तवज्जो दी है, और जनता को नया बिहार बनाने का सपना भी दिखाया है। स्वयं नीतीश कुमार ने इस बात को आगे बढ़ाया और कहा कि इसके पहले बिहार में कोई बदलाव नहीं होता था। लेकिन अब काम हो रहा है। विकास में केंद्र का पूरा साथ मिल रहा है और अब बिहार और तेज गति से आगे बढ़ेगा।प्रधानमंत्री ने इसी कड़ी को यह कहते हुए आगे बढ़ाया कि इस बार एनडीए को बिहार में रिकॉर्ड बहुमत मिलेगा क्योंकि इस बार पूरे बिहार के हर हिस्से में विकास के कार्य हो रहे हैं। जनता यह विकास देख रही है और इस विकास की सहभागी है। ऐसे में प्रधानमंत्री और पूरे भगवा खेमा को यह भरोसा है कि बिहार की जनता इस बार उन्हें रिकॉर्ड बहुमत देगी। कहा जा सकता है कि मोदी का यह भरोसा अपने काम पर ही है। पूरे देश में विकास के दम पर राजनीति को आगे बढ़ाने वाले मोदी बिहार में भी पूरी मजबूती के साथ इस कार्ड को खेलेंगे। जंगलराज की असलियत भी बताने से नहीं चूक रहे लेकिन इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री ने जनता को जंगलराज का डर भी दिखाया। उन्होंने जनता को यह बताया कि यदि महागठबंधन को अवसर मिल गया तो बिहार से सारे उद्योग वापस हो जाएंगे। सारा विकास ठप पड़ जाएगा। नीतीश कुमार ने भी यह बताने में कोई कसर नहीं छोड़ा कि लालू परिवार केवल अपने बच्चों के भविष्य के लिए राजनीति करता है, जबकि एनडीए बिहार की जनता के बच्चों के भविष्य के लिए काम करता है। गरीब लोगों के बीच इन मुद्दों पर बहस होते हुए देखा जा रहा है। कहना न होगा कि यह मुद्दा गरीबों के बीच असर कर रहा है और चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है। शहाबुद्दीन पर अमित शाह का हमलाअकारण नहीं भाजपा नेताओं ने लालू यादव केशासनकाल वाले 'जंगलराज' पर हमला करना जारी रखा है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन पहले भाजपा कार्यकर्ताओं से बातचीत में भी कहा था कि बिहार की जनता जंगलराज का दौर सौ साल तक नहीं भूलेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी जंगलराज पर राजद-कांग्रेस पर हमला बोला है। आज अमित शाह उस सीवान इलाके में थे जो राष्ट्रीय जनता दल के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के सुरक्षित किले के तौर पर देखी जाती थी। राजद ने इस बार शहाबुद्दीन के बेटे को अपना प्रत्याशी बनाया है। अमित शाह ने कहा कि अब सौ शहाबुद्दीन भी आ जाएं तो भी बिहार को जंगलराज के दौर में वापस नहीं ले जाया जा सकता। उन्होंने शहाबुद्दीन को जंगलराज के प्रतीक के तौर पर जमकर उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब राज्य में जंगलराज की वापसी नहीं होने देगी। मोदी-शाह का यह रुख बताता है कि वे लालू राज के अपराध पर निशाना साधना जारी रखेंगे। नई पीढ़ी पर भी होगा असर लालू यादव के जिसशासनकाल को जंगलराज से जोड़कर देखा जाता है, उसके बीते लगभग 20 साल का समय हो चुका है। लेकिन आज भी बिहार में एक ऐसी पीढ़ी है जिसने उस दौर के आतंक को देखा है, भोगा है। नई पीढ़ी ने उस अपराध की कहानियां अपने बड़ों से सुनी हैं। ये उनके अंदर एक वर्ग विशेष के प्रति शंका पैदा करने वाली हैं। मोदी और शाह की अपील ऐसे लोगों पर असर कर सकती है। भ्रष्टाचार का गठबंधन मोदी ने कांग्रेस-राजद के गठबंधन को भ्रष्टाचार का गठबंधन बताने की कोशिश की है। उन्होंने कहा बिहार का एक परिवार भ्रष्टाचार में जमानत पर है तो राष्ट्रीय स्तर पर एक परिवार के लोग जमानत पर हैं। उन्होंने जनता को बताने की कोशिश की कि इन दोनों के बीच गठबंधन भ्रष्टाचार का गठबंधन है जो अपने लाभ के लिए किया गया है। क्या यूपी जैसा असर होगा बिहार में यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने अखिलेश यादव के शासनकाल के अपराध को ही अपना मुख्य विषय बनाया था। भाजपा ने जनता को यह विश्वास दिला दिया कि यदि सपा की सत्ता में वापसी होती है तो राज्य में एक बार फिर अपराध का दौर शुरू हो सकता है। भाजपा को इस रणनीति में सफलता मिली और उसने फिर यूपी फतह कर लिया। बिहार में जंगलराज का दौर इसी तरह का असर पैदा कर सकता है। तेजस्वी ने भी बोला हमला तेजस्वी यादव भी जानते हैं कि इस बार उनकी चुनौती कठिन है। इसलिए उन्होंने सीधे नौकरी और रोजगार को ही अपना सबसे बड़ा हथियार बनाकर पेश किया है। हर घर को सरकारी नौकरी देने के उनके वादे पर हर व्यक्ति सवाल खड़े कर रहा है, लेकिन आज भी उन्होंने अपने इसी वादे को दोहराया। उन्होंने कहा कि अमित शाह फैक्ट्री तो गुजरात में लगाना चाहते हैं, लेकिन विक्ट्री बिहार में चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अब ऐसा नहीं होगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 24, 2025, 20:16 IST
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