Almora News: हिमालयी राज्यों के 5900 नौले-धाराओं में लौटेगी अमृत धार

अल्मोड़ा। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल देश के 13 हिमालयी राज्यों में विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके 5900 प्राचीन और ऐतिहासिक नौले-धारों को पुनर्जीवित करेगा। पहले चरण में संस्थान ने इन नौलों-धारों की जियो टैगिंग पूरी कर ली है। जल्द ही इन्हें पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया जाएगा।पर्यावरण के क्षेत्र में शोध करने वाले जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के मुताबिक वर्ष 2019 से पूर्व इन राज्यों में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके प्राकृतिक नौले-धारों का सर्वे किया गया था। सर्वे में ऐसे 5900 नौले-धारे मिले, जिनमें पानी 40 से 50 प्रतिशत घट गया है या वे पूरी तरह सूख चुके हैं। इनकी जियो टैगिंग पूरी कर ली गई है। जल्द ही इन्हें पुनर्जीवित करने का काम शुरू होगा।पहले चरण में जलस्तर घटने या सूखने के कारणों का लगाया जाएगा पताअल्मोड़ा। संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने कहा हिमालयी क्षेत्रों में स्थित ये नौले-धारे जीवनदायिनी हैं लेकिन प्राकृतिक आपदा या जंगलों के अवैज्ञानिक दोहन से ये धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। पहले चरण में वैज्ञानिक इन नौले-धारों के जलस्तर कम होने या सूखने के कारणों का पता लगाएंगे। कहा इसके जमीन का धंसना, प्राकृतिक आपदा सहित कई कारण हो सकते हैं, जिनका पता लगाया जाएगा।नौले-धारों में पानी के उतार-चढ़ाव पर रहेगी नजरअल्मोड़ा। संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने कहा आम तौर पर प्राकृतिक जल स्रोत मानसून काल में अपने पूरे प्रवाह में बहने शुरू हो जाते हैं लेकिन इसके बीतते ही इनमें पानी कम हो जाता है। पानी के उतार-चढ़ाव का पता लगाने के लिए विलुप्त हो रहे नौले-धारों पर मानसून काल व इसके बाद के समय में नजर रखी जाएगी। इसके बाद ही इनके घटते जलस्तर के कारणों का पता लगाने में आसानी होगी।चाल-खाल व जंगलों को किया जाएगा विकसितअल्मोड़ा। संस्थान के मुताबिक प्राकृतिक नौले-धारों को पुनर्जीवित करने के लिए मुख्य तौर पर चाल-खाल व इसके आसपास जंगल विकसित करने होंगे, जिसकी पूरी तैयारी हो चुकी है। इन धारों को जलापूर्ति करने वाले भूमिगत जल स्रोतों का भी ट्रीटमेंट किया जाएगा।इन राज्यों के नौले-धारे होंगे पुनर्जीवितउत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर सहित 13 राज्य।क्या है जियो टैगिंगजियो टैगिंग का मतलब कार्य की भौगोलिक स्थिति, फोटो, मैप और वीडियो के जरिए सटीक जानकारी देना है। इससे उस जगह की लोकेशन जानी जाती है, जिससे गूगल मैप देखकर जगह का आसानी से पता किया जाता है।--देश के 13 हिमालयी राज्यों में 5900 नौले-धारों को पुनर्जीवित करने का काम संस्थान करेगा, जिसकी जिओ टैगिंग पूरी कर ली गई है। जल्द इस पर काम शुरू होगा। - प्रो. सुनील नौटियाल, निदेशक, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 30, 2022, 23:43 IST
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