Physiotherapy: लकवा से विकलांगता ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी खतरा, फिजियोथेरेपी से दोनों में सुधार संभव
आपने अपने आसपास के कई लोगों को लकवा का शिकार देखा होगा। लकवा यानी पैरालिसिस आम लेकिन, जीवन के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली दिक्कत है। हाल के वर्षों में युवाओं में भी इसके मामले बढ़ते हुए देखे गए हैं। लकवा तब होता है जब आप अपनी मांसपेशियों को अपनी इच्छा के अनुसार हिलाने में असमर्थ हो जाते हैं। तंत्रिका तंत्र की समस्याएं इसका प्रमुख कारणहै। तंत्रिकाएं आपकी मांसपेशियों को संकेत भेजती हैं कि उन्हें किस तरह से काम करना है। यही संकेत आपकी मांसपेशियों को गति प्रदान करते हैं। आमतौर पर स्ट्रोक या स्पाइन कॉर्ड में किसी प्रकार की चोट के कारण ये संदेश बाधित हो जाता है। उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, धूम्रपान-शराब का सेवन, मोटापा, मानसिक तनाव जैसी स्थितियां ब्रेन स्ट्रोक और लकवा के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। शरीर के साथ मन पर भी असर लकवा सिर्फ शरीर को ही नहीं, मन को भी प्रभावित करता है। इससे चलने-फिरने, बोलने और सोचने में भी परेशानी होती है। कई बार व्यक्ति दूसरों पर निर्भर हो जाता है जिसके चलते तनाव-अवसाद का शिकार हो सकता है। इसलिए समय पर इसके लक्षणों को पहचानना और इलाज प्राप्त करना बहुत जरूरी है। आज विश्व फिजियोथेरेपी दिवस है। अमर उजाला से बातचीत में लखनऊ स्थित एक निजी अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट डॉ जोहैब काजी बताते हैं, फिजियोथेरेपी की मदद से लकवा के शिकार लाखों लोगों की सेहत में सुधार हो रहा है और धीरे-धीरे वह फिर से चलने-उठने में सफल भी हो रहे हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 08, 2025, 14:26 IST
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