'क्रिकेट तो लड़कों का खेल': दुनिया में भारत बना विश्वविजेता...'हरमन' की टीम बेटियों के लिए बनी प्रेरणा; जानें
हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वह कर दिखाया, जिसका सपना दशकों से देखा जा रहा था। टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार महिला विश्वकप जीतकर इतिहास रच दिया है। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि देश की हर उस बेटी की जीत है, जिसने कभी हाथ में बल्ला उठाने का सपना देखा था या देख रही है। अंजुम चोपड़ा, झूलन गोस्वामी और मिताली राज जैसी दिग्गज खिलाड़ियों ने वर्षों पहले जो सपना देखा था, उसे हरमन की शेरनियों ने साकार कर दिखाया। उन्होंने साबित कर दिया कि अब क्रिकेट सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं रहा। यह भारत की बेटियों की हिम्मत, हुनर और मेहनत का भी मैदान बन चुका है। 1983 में जब कपिल देव ने क्रिकेट के मक्का लार्ड्स की बालकनी में खड़े होकर कप उठाया था, तब क्रिकेट भारत के बच्चे-बच्चे की रगो में क्रिकेट खून बनकर दौड़ने लगा था। अब 2025 में हरमन की टीम ने वही जोश और जुनून फिर से जगा दिया है। फर्क बस इतना है कि इस बार बल्ले पर बेटियों का नाम लिखा है। महिला टीम की इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब खेल के मैदानों में माता-पिता अपनी बेटियों को भी क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करेंगे। जो बंदिशें थीं कि क्रिकेट लड़कों का खेल है वह दीवार इस जीत के बाद गिर चुकी है।
- Source: www.amarujala.com
 - Published: Nov 04, 2025, 08:00 IST
 
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