Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कर्ज, एनपीए की कठिन प्रक्रिया नीतिगत पक्षाघात

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा, कर्ज देने और गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) घोषित करने की प्रक्रिया बोझिल बनाने का नतीजा अंतत: नीतिगत पक्षाघात होगा। हमें सार्वजनिक धन और बैंक धोखाधड़ी से जुड़े विभिन्न पहलुओं को संतुलित करने की जरूरत है। जस्टिस किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, बैंकिंग प्रक्रिया को बोझिल बनाने से ऐसी स्थिति पैदा होगी, जहां अधिकारी ऋण और एनपीए के संबंध में कोई भी निर्णय लेने से डरेंगे। शीर्ष अदालत एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की 2003 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बैंक धोखाधड़ी, गैर-निष्पादित संपत्तियों पर अंकुश लगाने और विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश देने की मांग की गई थी। एनजीओ ने कुछ बड़ी कॉरपोरेट फर्मों पर हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हुडको) समेत कई बैंकों के साथ 14500 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था। जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उठाए जा रहे हैं कदम आरबीआई ने अदालत को बताया कि बैंक धोखाधड़ी से निपटने के उसके प्रयासों और विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई का नतीजा है कि एनपीए में कमी आई है। यह एनपीए के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सभी निवारक कदम उठा रहा है। पीठ ने कहा, हम हर तरह के बैंक फर्जीवाड़े के लिए सीबीआई को खुला नहीं छोड़ सकते। अगर हम सीबीआई पर बहुत अधिक बोझ डाल देंगे, तो कुछ नहीं होगा। पीठ ने आरबीआई के वकील जयदीप गुप्ता से पूछा कि केंद्रीय बैंक ने क्या कदम उठाए हैं और उसे क्या कदम उठाने की जरूरत है। इस मामले में किसी को अपना दिमाग लगाना ही होगा। इस पर गुप्ता ने कहा, विभिन्न कदम उठाए गए हैं लेकिन विस्तृत जवाब के लिए आरबीआई से निर्देश लेने होंगे। इस पर पीठ ने गुप्ता को चार सप्ताह का वक्त दिया और सुनवाई उसके बाद तय कर दी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 26, 2023, 05:57 IST
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