Supreme Court: नाराज अदालत बोली- पीड़िता को कानून व्यवस्था ने किया अधिक प्रताड़ित; POCSO आरोपी को सुप्रीम राहत

सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत दोषी करार एक युवक को यह कहते हुए सजा न देने का फैसला किया कि मामला कानून-व्यवस्था की खामियों को उजागर करने वाला है। आरोपी अब पीड़िता से शादी कर चुका है और एक बच्चे का पिता है। कोर्ट ने कहा, भावनात्मक रूप से आरोपी के साथ जुड़ चुकी पीड़िता को उसे सजा से बचाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। आरोपी ने उस समय युवती का यौन उत्पीड़न किया था जब वह नाबालिग थी। जस्टिस अभय ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि कानून की नजर में तो यह अपराध है लेकिन पीड़िता ने इसे अपराध नहीं माना। ये भी पढ़ें:-चिंता: अस्पताल के सीवर में मिला एंटीबायोटिक प्रतिरोधी घातक जीवाणु, दवाओं पर असरहीन बैक्टीरिया से बढ़ा खतरा घटना के बाद समाज ने उसे आंका, कानून उसकी मदद नहीं कर सका और परिवार ने उसे अकेला छोड़ दिया। उसे सबसे ज्यादा तकलीफ इस बात से हुई कि आरोपी को सजा से बचाने के लिए उसे लगातार पुलिस और कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि लड़की को परिवार के रवैये और समाज, कानून व्यवस्था की कमियों के कारण पहले उचित विकल्प चुनने का कोई अवसर नहीं मिला। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को मामले के संबंध में निर्देश जारी किए। साथ ही महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को आगे की कार्रवाई पर विचार करने के लिए नोटिस जारी किया। अनुच्छेद 142 का किया इस्तेमाल पीठ ने कहा, इस मामले के तथ्य सबके लिए आंखें खोलने वाले हैं। कानून व्यवस्था में खामियों को रेखांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग किया, जो उसे पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने की शक्ति देता है। इसके तहत ही कोर्ट ने नाबालिग के साथ यौन संबंध बनाने के आरोपी को कोई सजा नहीं देने का फैसला किया। ये भी पढ़ें:-PM Modi In NITI Aayog Meeting: आज नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक, पीएम मोदी करेंगे अध्यक्षता; जानिए सबकुछ परिवार ने लगाया था अपहरण का आरोप मामला 2018 का है, जब ग्रामीण पश्चिम बंगाल की 14 वर्षीय लड़की को उसकी मां ने लापता बताया था। बाद में बताया गया कि उसने 25 वर्षीय व्यक्ति से शादी कर ली थी। लड़की की मां ने आरोप लगाया था कि उस व्यक्ति ने उसका अपहरण किया था, जिसे 2022 में एक जिला अदालत ने दोषी ठहराया और 20 साल जेल की सजा सुनाई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 24, 2025, 05:39 IST
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