Khelo India Games: खेलो इंडिया गेम्स में शामिल थांग ता की कहानी, डर के मारे अंग्रेजों ने बैन कर दिया था यह खेल

खेलों इंडिया यूथ गेम्स 2023 का आयोजन इस बार मध्यप्रदेश के आठ शहरों में हो रहा है। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। थांग ता आर्ट को भी खेलों इंडिया गेम्स में शामिल किया है। यह लगभग 400 साल पहले मणिपुर के राजा-महाराजों ने शुरू किया था। हालांकि, इस खेल की कहानी काफी रोचक है। तलवार और भाले के साथ खेले जाने वाले इस खेल पर अंग्रेजों ने बैन लगा दिया था। हालांकि, यह खेल अपना अस्तित्व बनाए रखने में सफल रहा और अब इसे खेलो इंडिया गेम्स में भी शामिल किया गया है। अंग्रेजों को डर था कि इस खेल में भाले और तलवार का उपयोग होता है। इस वजह से इस खेल में हिस्सा लेने वाले लोग बगावत में शामिल हो सकते हैं। इस वजह से इस खेल पर बैन लगा दिया गया था। खेलों इंडिया गेम्स में मणिपुर सहित कुल 22 टीमें इस खेल में हिस्सा ले रही हैं। थांग ता का शाब्दिक अर्थ है तलवार और भाला। थांग का अर्थ है तलवार और ता का मतलब है भाला। मार्शल आर्ट विदेशों से आकर एक खेल के रूप में स्थापित हो चुका है। ऐसे में भारतीय फेडरेशन के प्रेम कुमार ने थांग ता को भी एक खेल के रूप में स्थापित करने का मन बनाया। उन्होंने तलवार की जगह एक छड़ी का इस्तेमाल किया और भाले की जगह ढाल को दे दी। धीरे-धीरे मणिपुर में इसके आयोजन शुरू हुए और अब यह देश के अलग-अलग हिस्सों में खेला जा रहा है। 1990 से शुरू हुआ यह सफर अब जाकर कहीं सफल हुआ है। 1993 में इसकी राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित हो चुकी है। 2011 में इस खेल की विश्व चैंपियनशिप आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में कुल छह देश शामिल हुए। भारत में मणिपुर के अलावा हरियाणा में यह खेल काफी लोकप्रिय है और हरियाणा के खिलाड़ी थांग ता में चार मेडल जीत चुके हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 25, 2023, 17:43 IST
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