Panchkula News: दिव्यांग बेटियों को चाहिए ममता की छांव

दीपक शाही पंचकूला। खुशी, परी और दिव्या को भी ममता की छांव चाहिए। वे मां की उंगली पकड़ कर चलना चाहती हैं। जन्म के बाद दिव्यांग बेटियों के माता-पिता ने उनको सड़क किनारे और चलती ट्रेन में छोड़ दिया था। इनको न मां का आंचल मिला, न ही पिता का प्यार। पंचकूला सेक्टर-15 के शिशु गृह ने उन्होंने चलना और बोलना जरूर सीखा दिया है। बस उन्हें एक जिम्मेदार माता-पिता चाहिए जो सही और गलत का फर्क समझाकर उनको जिंदगी का पाठ पढ़ा सके। उनको भी नई दिशा मिले और वे जिंदगी में उड़ान भर सकें। दिव्या को है भजनों से लगावदिव्या साढ़े तीन साल की हो गई हैं। करनाल में फूूसगढ़ होम के बाहर माता-पिता ने 2021 में उनको छोड़ दिया था। तब से वह शिशु गृह में है। यहां आया हेमा उसका बहुत खयाल रखती हैं। सुबह नींद खुलते ही दिव्या की निगाहें हेमा को खोजती हैं, हो भी क्यों न। हेमा से उसे मां जैसा प्यार मिला है। उसकी मां ने तो उसे जन्म के बाद मरने के लिए छोड़ दिया था, लेकिन हेमा का प्यार भी उसके लिए कुछ समय का है। छह साल की उम्र के बाद नियमानुसार दिव्या को शिशु गृह छोड़ना पड़ेगा। उससे पहले उसे एक जिम्मेदार माता-पिता की जरूरत है, जो उसकी परवरिश कर सके। दिव्या को संगीत बहुत पसंद है। खासकर भजन। जब कभी दिव्या रोती है, उसकी आया हेमा उसे भजन सुनाकर चुप करा देती हैं। ट्रेन में बच्ची को छोड़ माता-पिता उतर गएढाई साल की परी अब बोलने लगी है। उसके माता-पिता ने जब वह छह माह की थी, तब अंबाला के पास चलती ट्रेन में उसे छोड़ दिया था। उस समय उसके अभिभावकों ने अपनी बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी सोनीपत में दर्ज करवाई। कुछ घंटों में उसकी तलाश कर जीआरपी जब उसको माता-पिता के सामने लेकर पहुंची तो उन्होंने अपनी ही बच्ची को पहचानने से इन्कार कर दिया। वह एक आंख से ठीक तरीके से न देख पा रही थी, ना ही बोल पाती थी, लेकिन आज परी बोलने के साथ-साथ दौड़ती भी है। 19 दिन की बच्ची को माता-पिता ने छोड़ा 2022 जून को अपनी 19 दिन की बच्ची को एक माता-पिता ने सड़क किनारे मरने के लिए छोड़ दिया था। बच्ची का कसूर बस इतना था कि वह दिव्यांग पैदा हुई थी। अपने माता-पिता के लिए वह बोझ बन गई थी। जब उसे पंचकूला सेक्टर-15 के शिशु गृह लाया गया तो वह अपने हाथ और पैर भी हिला नहीं पाती थी। उसके दोनों हाथ सीने से चिपके रहते थे। महज छह माह के उपचार के बाद उसके हाथ हिलने लगे और वह अपनी आया अनीता का इशारा भी समझती है। सूजी की खीर खाना उसे बहुत पसंद है। उसका उपचार चंडीगढ़ के पीजीआई में चल रहा है। माता पिता ने सड़क किनारे छोड़ दियाकरनाल में दो साल की बच्ची को उसके माता-पिता ने 2019 में सड़क किनारे छोड़ दिया था। वहां से उसे पंचकूला के सेक्टर 15 स्थित शिशु गृह में लाया गया। तब वह हिल भी नहीं पाती थी। वह आज पांच साल आठ माह हो गई है। उसका उपचार चंडीगढ़ पीजीआई में चल रहा है। वह मल्टीपल डिसआर्डर बीमारी से पीड़ित है। वह धीरे-धीरे लोगों की बातें समझने लगी है। बहुत सक्रिय भी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 18, 2023, 01:49 IST
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