Kaushambi News: पुुुलिस विवेचना में चूक, गवाह मुकरे... और छूट गया हत्या का आरोपी

वर्ष 1997 में सैनी कोतवाली के केसरिया में कानपुर निवासी ढाबा संचालक की गोली मारकर हुई थी हत्या- अज्ञात में दर्ज हत्या के मामले में प्रकाश में आया था आरोपी राजेंद्र सिंह सचान संवाद न्यूज एजेंसीमंझनपुर। पुलिस के सिस्टम की चूक और गवाहों के विरोधाभासी बयान के कारण हत्या के मामले में आरोपी राजेंद्र सिंह सचान बरी हो गया। 25 साल पहले ढाबा संचालक राम सजीवन की हत्या में नामजद कराए आरोपी को कोर्ट ने पुलिस विवेचना में खामी व गवाहों के अपने बयान से मुकरने पर बरी कर दिया।अभियोजन के मुताबिक कानपुर देहात जिले के मिलकियनपुर गांव निवासी राम सजीवन सैनी कोतवाली के केसरिया में सचान ढाबे का संचालन करते थे। 24 अक्तूबर 1997 को ढाबे में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में ढाबे के पास ही पान की गुमटी का संचालन करने वाले सैनी कोतवाली के केसरिया निवासी पारस नाथ कुशवाहा ने चार अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया। बताया कि शाम करीब छह बजे वह दुकान पर थे तभी सचान होटल (मृतक का ढाबा) में चार लोग पहुंचे और चाय पी। इसके बाद किसी बात को लेकर उन्होंने संचालक राम सजीवन को गोली मार दी। घटना के वक्त होटल पर मिस्त्री रमेश मौजूद था। इसके बाद हमलावर हाईवे के रास्ते भाग निकले। पुलिस ने चार अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर विवेचना शुरू की। विवेचना के दौरान कानपुर देहात के थाना घाटमपुर के सिकौहना निवासी राजेंद्र सचान का नाम प्रकाश में आया। पुलिस ने विवेचना के बाद राजेंद्र सचान के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। मामला सीजेएम की अदालत में विचाराधीन था। कोर्ट ने आरोपी को सुसंगत अभिलेख की नकल प्राप्त कर विचारण के लिए मामला सत्र न्यायालय को सुपुर्द किया। इस मामले में अभियोजन की तरफ से शासकीय अधिवक्ता सोमेश्वर तिवारी 11 गवाहों को परीक्षित कराया। कोर्ट ने गवाहों के बयान और विवेचना में दोष को आधार मानते हुए 25 साल बाद आरोपी राजेंद्र सचान को बरी कर दिया।घटनाक्रम के अहम बिंदु 0 पुलिस ने घटना स्थल से .32 बोर के दो कारतूस बरामद करने का दावा किया था। बरामद कारतूस को माचिस की डिब्बी में बंद करके सील बंद किया गया था। मुकदमे के विचारण के दौरान कारतूस की जगह खोखे निकले।0 वर्ष 2005 में अभियुक्त राजेंद्र सचान के खिलाफ दाखिल की गई थी चार्जशीट। जिसमें अभियुक्त ने आरोप से इंकार करते हुए मुकदमे के विचारण की मांग की थी।0 अभियुक्त ने अभियोजन की गढ़ी कहानी को गलत बताया और साक्षियों के द्वारा झूठा व गलत बयान देने का कथन किया। यहां तक की अभियुक्त राजेंद्र ने अपनी सफाई देने से भी इन्कार कर दिया था।गवाहों के बयान के तथ्य0 हत्या का मुकदमा दर्ज कराने वाले पारस नाथ ने कोर्ट में कहा कि घटना के वक्त वह मौके पर मौजूद नहीं था। वह शौच करने गया था वापस लौटने पर घटना की जानकारी हुई।---0 गवाह कमला सचान ने बताया कि घटना से 16 साल पहले दीपक सचान के होटल के पास राजेंद्र का भाई मर चुका था। उसका दूसरे लोगों से झगड़ा हुआ था। इसमें उसके पति यानि राम सजीवन को फंसाया गया था। हत्या आरोपी ने भाड़े से शूटरों से अंजाम दिलाई थी। ---0 गवाह दशरथ- घटना के चश्मदीद दशरथ ने अदालत में दिए बयान में कहा कि उसने करीब 50 फिट की दूरी से मृतक को मरा हुआ देखा था। पुलिस ने किसी पेपर में उसरे हस्ताक्षर कराए। बाद में पता चला कि वह पंचायतनामा था। दशरथ ने पंचायतनामा में हस्ताक्षर खुद को होने से इंकार किया।0 गवाह सत्य प्रकाश- उसने बताया कि 1997 में उसे घर में (कानपुर देहात) में खबर मिली कि उसके चाचा राम सजीवन की हत्या कर दी गई है। जब वह अगले दिन चाचा के होटल पहुंचा तो वह मृत पड़े थे। पंचायतनामा भरने के दौरान उसके साथ साक्षी दशरथ सहित परिवार के अन्य लोग भी थे।----पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक का बयान- शव का पोस्टमार्टम प्रयागराज के चाका में रहे मेडिकल ऑफीसर डॉ. एके गुप्ता ने किया था। रिपोर्ट में उन्होंने लिखा कि शव लेकर सिपाही बीर भवन सिह और अमर सिंह लाए थे। मृतक के शरीर में अकड़न थी। घाव में ब्लैकनिंग (सटाकर गोली मारने के साक्ष्य) थी। -----कई लोगों ने की विवेचना, कुछ की हो चुकी है मौतमंझनपुर। रामसजीवन हत्याकांड की विवेचना कई लोगों ने की है। घटना के वक्त सैनी में थानाध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह थे। इसके बाद मथुरा प्रसाद, जगन्नाथ गिरी सहित कई लोगों ने विवेचना की। जिसमें कुछ की मौत हो चुकी है और कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं।----यहां फंस गया था पेंचमंझनपुर। पुलिस ने घटना की विवेचना के दौरान अपनी फर्द में इस बात का जिक्र किया कि घटना स्थल से दो . 32 बोर के कारतूस मिले थे। मुकदमें के विचारण के दौरान जो कारतूस दाखिल किए गए थे वह खोखे निकले। ------अदालत का फैसलामामला जिला जज बृजेश कुमार मिश्र की अदालत में विचाराधीन था। प्रकरण में ज्यादातर गवाह पक्षद्रोही हो गए। इसके अलावा पुलिस की विवेचना में भी चूक हुई थी। इस पर अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया।----मामला काफी पुराना है। फिलहाल अगर पुलिस विवेचना में किसी तरह की लापरवाही बरती गई है तो यह गंभीर विषय है। प्रकरण की पत्रावली मंगवाकर जांच कराई जाएगी। मामले में अगर किसी पुलिस कर्मी की भूमिका संदिग्ध मिली तो कार्रवाई की जाएगी।बृजेश कुमार श्रीवास्तव, एसपी कौशाम्बी

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 25, 2023, 01:47 IST
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