Manipur: इंफाल होटल में नजरबंद किए गए कुकी समुदाय के बड़े नेता, बोले- शांति प्रयासों को कमजोर करने की साजिश
इंफाल में बंद कमरे में हुई एक अहम बैठक के बाद थाडो इनपी मणिपुर (टीआईएम) के नेताओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि होटल में उन्हें जबरन नजरबंद कर दिया गया और उन्हें निर्धारित कार्यक्रम में जाने से रोका गया। ये घटना तब हुई जब टीआईएम के 16 प्रतिनिधियों ने मणिपुर में शांति स्थापना के लिए मैतेई समुदाय के संगठनों के साथ बैठक की थी। टीआईएम के वरिष्ठ नेता एम. जेम्स थाडो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्हें इंफाल के एक होटल में बंद कर दिया गया और जब वे पास के ही एक स्थल पर शांति कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे, तो अधिकारियों ने उन्हें जबरन रोक दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब राजनीतिक मंशा से किया गया। थाडो ने कहा, "यह हमारे जीवन, स्वतंत्रता और आवाजाही के अधिकारों का उल्लंघन है। यह संकेत देता है कि सरकार कुछ चरमपंथी तत्वों को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है, जो मणिपुर में शांति और आदिवासी एकता के खिलाफ हैं।" सरकार की भूमिका पर उठाए सवाल थाडो नेताओं ने केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधियों को जबरन रोकना यह दर्शाता है कि भारत सरकार शांति को बढ़ावा देने के बजाय उसे दबा रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार गंभीर है, तो उसे ऐसे दबावों और रोकथाम की राजनीति बंद करनी चाहिए। थाडो ने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाई से मणिपुर में और तनाव बढ़ सकता है। मैतेई और थाडो नेताओं के बीच हुई थी बैठक मंगलवार को थाडो इनपी मणिपुर के 16 प्रतिनिधियों ने मणिपुर की शांति और एकता को लेकर कई संगठनों से बातचीत की थी। इनमें कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी अरंबाई टेंगगोल, ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन जैसे संगठन शामिल थे। यह बैठक इंफाल के ही एक होटल में हुई थी, जहां बातचीत सकारात्मक रही। लेकिन इसके अगले ही दिन थाडो प्रतिनिधियों को जबरन नजरबंद किया गया, जिससे पूरे प्रयासों को झटका लगा। ये भी पढ़ें-'व्हाट्सएप या ई-मेल से नोटिस भेजना वैध नहीं', शीर्ष कोर्ट ने खारिज की आदेश में संशोधन की मांग वाली याचिका थाडो जनजाति की पहचान को लेकर भी उठे मुद्दे यह भी महत्वपूर्ण है कि थाडो इनपी मणिपुर खुद को कुकी समुदाय का हिस्सा नहीं मानते। जबकि कई शोधकर्ताओं का मानना है कि थाडो, कुकी जनजाति की सबसे बड़ी उप-जनजाति है। लेकिन TIM का कहना है कि वे एक स्वतंत्र और विशिष्ट जनजाति हैं। यही वजह है कि वे अपने राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए अलग से आवाज उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। ये भी पढ़ें-हाईकोर्ट जज के मामले में दोबारा सुनवाई करेगा शीर्ष कोर्ट, दीवानी केस में आपराधिक कार्रवाई को दी थी मंजूरी सरकार से अपील- सभी प्रतिबंध हटाएं टीआईएम नेताओं ने सरकार से साफ तौर पर मांग की है कि उनके प्रतिनिधियों की आवाजाही पर लगाए गए सभी प्रतिबंध हटाए जाएं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मणिपुर में शांति चाहती है, तो उसे सभी समुदायों को बराबर सम्मान और अधिकार देने होंगे। थाडो नेताओं ने यह भी कहा कि इस तरह की "बेइज्जती" शांति प्रक्रिया को कमजोर करती है और जातीय विभाजन को और गहरा बनाती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 07, 2025, 19:49 IST
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