IndiGo Crisis: वर्षों से खामियों की अनदेखी से पैदा हुए शर्मनाक हालात, इंडिगो ने इन चीजों पर नहीं दिया ध्यान

इंडिगो का अभूतपूर्व पतन महीनों से पनप रहे उन तनावों, असंतुलनों और प्रबंधन संबंधी खामियों का नतीजा है, जिन्हें न कंपनी ने स्वीकार किया, न नियामकों ने रोका और न सरकार ने गंभीरता से लिया। सतह पर दिखी अव्यवस्था का यह महाविस्फोट बड़े, धीमे और लगातार बनते दबाव का चरम बिंदु है। क्रू और पायलट प्रबंधन में खोखली संरचना और ओवर एक्सटेंडेड ऑपरेशंस की खामियां लगातार उजागर हो रहीं थीं। इंडिगो ने दो वर्षों में अपने रूट नेटवर्क और उड़ानों की संख्या तेजी से बढ़ाई, पर पायलटों, केबिन क्रू और तकनीकी स्टाफ की संख्या उसी रफ्तार से नहीं बढ़ाई गई। कई महीनों से क्रू के ड्यूटी शेड्यूल में गड़बड़ियां बढ़ रही थीं। कर्मियों को जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ रहा था। लगातार थकान की शिकायतें आ रही थीं, पर कंपनी और नियामकों ने इसे ऑपरेशन की मांग में उतार-चढ़ाव बताकर नजरअंदाज किया। क्रू से जुड़ी आंतरिक रिपोर्ट में दर्ज एक पंक्ति बेहद गंभीर है, हम विमान उड़ा रहे हैं, लेकिन सिस्टम हमें चलने की अनुमति नहीं दे रहा। एशिया पैसिफिक रीजनल एविएशन सेल (आईसीएओ) की टिप्पणियों में भी इसकी पुष्टि की गई है। इमरजेंसी प्रोटोकॉल सक्रिय नहीं जब किसी एयरलाइन की उड़ानें बड़ी संख्या में अचानक रद्द या विलंबित होती हैं, तो एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, सीआईएसएफ, स्थानीय प्रशासन और संबंधित एयरलाइन का संयुक्त इमरजेंसी रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल स्वत: सक्रिय हो जाता है। यह प्रणाली यात्रियों को तत्काल सहायता, भीड़ प्रबंधन, भोजन की उपलब्धता के लिए बनाई गई है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। एयरपोर्ट इकोनॉमिक रेग्युलेटरी अथॉरिटी की आंतरिक फाइल के अनुसार कई प्रमुख हवाई अड्डों ने यह कहकर हाथ खड़े कर दिए कि एयरलाइन ने न तो कोऑर्डिनेशन कॉल भेजी, न इमरजेंसी रिक्वेस्ट। स्पेयर प्लेन-क्रू नहींयानी एक विमान बंद तो बड़ा असर एशिया पैसिफिक रीजनल एविएशन सेल की समीक्षा में बताया गया कि इंडिगो की उड़ानें बड़ी संख्या में ए320 और ए321 नियो विमानों पर निर्भर हैं। इनके इंजनों में दो वर्षों से पीडब्ल्यू (प्रैट ऐंड व्हिटनी) वैरिएंट को लेकर रख रखाव संबंधी चुनौतियां बढ़ी हैं। कंपनी के पास स्पेयर प्लेन रोटेशन सीमित था, जबकि उड़ानें अधिकतम क्षमता पर जारी रहीं। यानी एक भी विमान बंद होने का मतलब था कि उसके पीछे लगी पूरी रूट-चेन प्रभावित हो जाती। क्रू प्रबंधन भी इसी तंत्र पर निर्भर था। कई दिन ऐसे आए जब ऑन स्टैंडबाय क्रू की संख्या दस प्रमुख हवाई अड्डों पर 12 से 18 के बीच रही, जबकि रोज औसतन 100 से अधिक विमानों को वैकल्पिक क्रू की जरूरत पड़ती है। शुरुआती 48 घंटे सोते रहे जिम्मेदार इंडिगो संकट शुरुआत में ही नियंत्रित किया जा सकता था, यदि डीजीसीए समय पर मैंडेटेड रिकवरी प्लान सक्रिय कर देता। पर 48 घंटों तक स्थिति एयरलाइन का आंतरिक परिचालन मसला बताकर छोड़ दिया गया। जब तक सरकार हरकत में आई, तब तक स्थिति राष्ट्रीय स्तर के विमानन संकट में बदल चुकी थी। दोबारा संकट होने का खतरा अंतरराष्ट्रीय ऑडिट विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इंडिगो अपने क्रू बफर, टेक्निकल स्पेयर बफर, मेंटेनेंस विंडो और रूट-कंजेशन जैसे बुनियादी परिचालन क्षेत्रों में तत्काल निर्णायक सुधार नहीं करती, तो ऐसा संकट दोबारा पैदा होने का जोखिम बना रहेगा। यह संकट भारतीय विमानन प्रणाली की उन छिपी कमजोरियों का पर्दाफाश करता है जिन्हें लंबे समय से नजरअंदाज किया जाता रहा है। यही कारण है कि दुनिया भर के एविएशन विशेषज्ञ इसे भारत के विमानन तंत्र के लिए अब तक का सबसे बड़ा वेक-अप कॉल मान रहे हैं एक ऐसी चेतावनी, जिसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये भी पढ़ें:IndiGo Crisis: एयरपोर्ट पर अटकी बरात, रिसेप्शन की खुशियों पर ब्रेक; हवाई अड्डे पर दूल्हा-दुल्हन समेत सब फंसे सिर्फ जवाब मांगे कार्रवाई नहीं की नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की दो आंतरिक फाइलों में दर्ज है कि इंडिगो का क्रू टाइमिंग रिकॉर्ड मार्च 2024 से टेंशन जोन में था। कई नोटिस भेजे गए, पर उन पर सिर्फ जवाब मांगा गया, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। कंपनी की ओर से जवाब में यह कहा गया कि स्थिति सीजनल मांग बढ़ने या पायलट ट्रांजिशन फेज की वजह से है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह तर्क उपलब्ध डाटा से मेल नहीं खाते। रखरखाव में गंभीर कमी एशिया पैसिफिक रीजनल एविएशन सेल के विश्लेषण में सामने आया कि 2025 की तीसरी तिमाही में इंडिगो ने विमानों के रखरखाव के लिए 4.6% समय ही रखा, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानक 7 से 9% के बीच होता है। यानी विमान लगातार उड़ान में रहे। उनकी नियमित जांच या मरम्मत के लिए पर्याप्त समय नहीं बचा। ऐसे हालात में कोई भी छोटी तकनीकी समस्या विमानों के ग्राउंड होने का कारण बन सकती थी और हुआ भी यही। ये भी पढ़ें:IndiGo Crisis: भारत के विमानन इतिहास में इंडिगो जैसा संकट पहली बार; छह दिनों में 7 लाख से अधिक यात्री बेहाल कई विवादों से बढ़ा दबाव समीक्षा के अनुसार, यह संकट तीन समानांतर ऑपरेशनल तनावों के एकसाथ सक्रिय हो जाने का परिणाम था। एक ऐसा परफेक्ट स्टॉर्म, जिसने पूरे नेटवर्क को लकवाग्रस्त कर दिया। समीक्षा के अनुसार संकट वाले दिनों में बड़ी संख्या में क्रू स्टाफ ने बीमारी की छुट्टियां लीं। आधिकारिक तौर पर इसे हेल्थ लीव बताया गया, लेकिन उद्योग सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे अत्यधिक थकान और लगातार बिगड़ते शेड्यूल से नाराजगी भी थी। अन्य वीडियो

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 08, 2025, 05:04 IST
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