ग्राउंड जीरो : जम्मू में सैन्य बलों की कदमताल... वाहनों की आवाजाही, लोग पूछ रहे हैं- फिर कुछ होगा तो नहीं

ऑपरेशन सिंदूर से सीजफायर तक देश भर में कश्मीर से ज्यादा चर्चा जम्मू की रही। हतप्रभ और अवाक लोग.. समझ ही नहीं पा रहे थे कि जम्मू में भी ऐसा कुछ हो सकता है। कभी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आने की सूचना, तो कभी सेना प्रमुख की मौजूदगी की खबर। राह चलते सैनिकों की गाड़ियों की आवाजाही, चौराहों पर मुस्तैद अर्धसैनिक बलों की चौकस नजर सुरक्षा का भरोसा तो जगा रही है, लेकिन आम आदमी एक-दूसरे से यही पूछता नजर आ रहा है कि फिर कुछ होगा क्या पीएम नरेंद्र मोदी के शब्द-आॅपरेशन सिंदूर स्थगित हुआ है, खत्म नहीं.इसके मायने आज भी लोग समझने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे-जैसे शाम ढलने लगती है, दुकानों के शटर बंद होने लगते हैं। जो इलाके रात भर रोशनी से जगमग रहते थे, वे अंधेरे में डूब जाते हैं। दुकानों पर लगे साइनबोर्ड की रोशनी या फिर कुछ एक घरों में टिमटिमाते से बल्ब रास्तों को ढूंढने में मदद करते हैं। दुष्प्रचार का आलम:आतंकवाद को विदेश नीति से जोड़ना पड़ोसी की पुरानी नीति; भारत ने हवा निकाली, लेकिन चिंता भले ही मलबा हटा लिया, पर ये दरारें अब भी डराती हैं बीते दिन पाकिस्तानी ड्रोन का शिकार रिहाड़ी का वो मोहल्ला अभी भी दहशत में है। रौनक कहीं गुम हो चुकी है। अपने टूटे घर के बाहर खड़ी शिल्पा चड्ढा सवाल करती हैं कि क्या इतना आसान है सबकुछ भुला देना। मलबा हट गया, पर ये दरारें, ये टूटा मकान, हमें उस दिन की याद दिलाता है। अब तो घर से लोग निकलना ही कम कर चुके हैं। शालामार स्थित रणवीरेश्वर मंदिर के पुजारी विनोद शर्मा कहते हैं कि अभी तक मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सामान्य नहीं हुई है। नियमित दर्शन करने वाले ही पहुंच रहे हैं। अंधेरा होते ही चारों तरफ लाइटें भी बंद रहती हैं। मंदिर परिसर भी अंधेरे में रहता है। वहीं, बीसी रोड निवासी रुचिका गुप्ता कहती हैं कि हमारे जानने वाले कई लोग शहर से गए थे, अभी उन्होंने वापसी नहीं की है। वे फोन कर माहौल को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 17, 2025, 06:43 IST
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