Govardhan Puja 2025: जानिए भगवान कृष्ण ने क्यों उठाया गोवर्धन पर्वत और क्यों अर्पित होते हैं 56 भोग ?
दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित करने की परंपरा है। यह पर्व श्रद्धा, कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को तोड़ा था और ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर सात दिन तक धारण किया था। इसी घटना के स्मरण में यह पर्व अन्नकूट या गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में बाल रूप में थे, तब एक बार ब्रजवासी इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ की तैयारी करने लगे। श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा कि यह यज्ञ किसलिए है तब उन्होंने बताया कि इंद्र वर्षा के देवता हैं, उन्हीं की कृपा से अन्न उत्पन्न होता है। श्रीकृष्ण ने समझाया कि वर्षा इंद्र नहीं, बल्कि प्रकृति के संतुलन और गोवर्धन पर्वत की वजह से होती है, जो सबको जल, अन्न, पशुओं के लिए चारागाह और वनस्पतियां प्रदान करता है। कृष्ण के आग्रह पर ब्रजवासियों ने इंद्र यज्ञ न करके गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने भारी वर्षा कर दी, जिससे ब्रजभूमि में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर सभी लोगों और गायों को उसके नीचे शरण दी। सात दिन तक निरंतर वर्षा होती रही, लेकिन ब्रजवासियों को कोई कष्ट नहीं हुआ। तब इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी। Govardhan Wishes 2025:इन संदेशों से दें करीबियों को गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं, पाएं श्रीकृष्ण का आशीर्वाद छप्पन भोग की परंपरा का अर्थ पौराणिक कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत उठाया, तब माता यशोदा और ब्रज की गोपिकाएं उन्हें भोजन नहीं करा पाईं। सामान्य रूप से श्रीकृष्ण दिन में आठ बार भोजन करते थे प्रातः स्नान के बाद, गौशाला जाने से पहले, गौशाला से लौटने पर, दोपहर में, संध्या के समय, रात्रि भोज में, सोने से पहले और रात्रि मध्य में। सात दिनों तक भोजन न करने के कारण जब वर्षा समाप्त हुई, तब प्रेमवश गोपियों ने भगवान को उन सभी दिनों का भोजन एक साथ अर्पित किया। सात दिनों के आठ भोजन कुल 56 प्रकार के व्यंजन छप्पन भोग के रूप में अर्पित किए गए। Govardhan Puja 2025:गोवर्धन पूजा आज, जानें पूजा विधि,मंत्र, मुहूर्त ,कथा और आरती धार्मिक महत्व छप्पन भोग केवल भोग लगाने की परंपरा नहीं, बल्कि यह कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक है। यह पर्व सिखाता है कि प्रकृति, पर्वत, जल, पशु और अन्न—सभी ईश्वर के रूप हैं। अन्नकूट में विविध प्रकार के अन्न भगवान को अर्पित करने से जीवन में अन्न, धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है। धार्मिक मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के दिन छप्पन भोग अर्पित करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर भक्तों के घरों में सुख-समृद्धि और अन्नपूर्णा की कृपा बरसाते हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 22, 2025, 08:29 IST
Govardhan Puja 2025: जानिए भगवान कृष्ण ने क्यों उठाया गोवर्धन पर्वत और क्यों अर्पित होते हैं 56 भोग ? #Festivals #GovardhanPuja2025 #SubahSamachar