कठुआ में बाढ़ की आपबीती: सिर्फ जान बचा पाए...अचानक पानी घर में घुसा और सबकुछ तबाह हो गया, नदियां उफनाईं

रविवार की सुबह कुल्लियां बडाला गांव में जो हुआ, वह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी, वह एक भयावह अनुभव था, जिसने लोगों की नींद, सामान और सुकून सब कुछ बहा दिया। गांव के बुज़ुर्ग शाह दीन कांपती आवाज में बताते हैं कि सुबह-सुबह सहार खड्ड का पानी इतना बढ़ गया कि कठुआ कनाल को तोड़ते हुए सीधे हमारे गांव में घुस आया। बहाव इतना तेज था कि लोग कुछ समझ ही नहीं पाए। बस जान बचाने की जल्दी थी और सामान, घर, सब पीछे छूट गया। गांव के कई घरों में पानी घुस गया, बिस्तर, अनाज, किताबें सब कुछ कीचड़ में बदल गया। शाह दीन ने आंसू पोंछते हुए बताया, हम तो बच गए, लेकिन जो हमने साल में जोड़ा था, वो सब एक घंटे में खत्म हो गया। कुलदीप सिंह की आवाज में गुस्सा और पीड़ा दोनों थे। वे प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते बताया कि पिछली बाढ़ के बाद से खड्ड के पास की जमीन में कटाव शुरू हो गया था। हमने कई बार प्रशासन को बताया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। चंद हजारों की मरम्मत को नकार कर प्रशासन ने आज करोड़ों का नुकसान अपने गले बांध लिया। आज उसका नतीजा ये है कि खड्ड का पानी करीब 200 मीटर लंबी नहर को बहा ले गया और गांव में तबाही मचा दी।गांव के लोग अब सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं, लेकिन उनके चेहरों पर चिंता साफ झलकती है। बच्चों की पढ़ाई, बुज़ुर्गों की दवाइयां, रोजमर्रा की जरूरतें, सब कुछ अनिश्चितता में डूबा हुआ है। बसंतर व देविका नदियां उफनाईं, बीएसएफ के बंकरों में घुसा पानी सांबा में बारिश से सुरक्षा बलों के बंकरों को नुकसान पहुंचा है। बाढ़ का पानी वन विभाग की नर्सरी में एक से दो फुट तक भर गया। वहीं किसानों के खेतों में भी पानी भरे जाने की जानकारी है। बरोटा गांव के पूर्व सरपंच राम पाल चौधरी के अनुसार बसंतर व देविका नदियां अपना रास्ता बदल रही हैं। तटबंध के अभाव के कारण ऐसा हो रहा है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष 2011 में बारिश से बसंतर दरिया में आई बाढ़ कारण सुरक्षा बांध टूट गया था। बीएसएफ के बंकरों को नुकसान पहुंचा था। किसानों की सैकड़ों कनाल भूमि पर रेत पथर बिछ गए थे जिस पर आज तक किसान फसल ही नहीं लगा पाए हैं। अब एक बार फिर से बसंतर दरिया के पानी से भूमि कटाव हो रहा है। इस बारे में कई बार जिला प्रशासन के साथ उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवाया गया था लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि एक दो दिनों में अधिक बारिश होती है तो सीमावर्ती गांव बरोटा, केसो, केसो कैंप, रंगूर व नंगा के गावों को खतरा बना हुआ है। उत्तराखंड के हर्षिल में बाढ़ का खतरा धराली के बाद हर्षिल में रविवार शाम को तेलगाड नदी एक बार फिर उफान पर आने के बाद पूरे बाजार और गांव को खाली करवाया जा रहा है। वहीं क्षेत्र में अधिक बारिश होने के बाद वहां पर दहशत बनी हैैै। स्थानीय लोगों का कहना है कि तेलगाड में लगातार बड़े-बड़े बोल्डर आने के कारण एक बार फिर भागीरथी के प्रवाह रुकने और झील का जलस्तर बढ़ने का खतरा बन गया है। हर्षिल घाटी में दोपहर बाद हुई तेज बारिश के कारण अचानक तेलगाड नदी एक बार फिर उफान पर आने के कारण स्थानीय लोगों में दहशत है। तेलगाड में पानी बढ़ने के कारण भागीरथी का जलस्तर भी बढ़ रहा है। इसलिए प्रशासन की ओर से सुरक्षा को देखते हुए वहां पर नदी के किनारे के होटलोें और आवासीय भवनों सहित जीएमवीएन गेस्ट हाउस व पुलिस थाने को खाली करवा दिया है। पंजाब : होशियारपुर के छह गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा तलवाड़ा (होशियारपुर)। बाढ़ के बढ़ते खतरे के बीच उपमंडल मुकेरियां के 6 गांवों के लोगों को स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर जाने के आदेश जारी किए हैं। गांव मेहताबपुर में पौंग डैम से आ रहे पानी के कारण ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया है जिससे गांव में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। गांव कोलियां 418 और मेहताबपुर के बीच धुस्सी बांध टूट गया जिससे गांव में पानी भर गया है। इस कारण कई घरों मे पानी भी घुस जाने से उनका सारा सामान पानी की चपेट मे आ गया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 25, 2025, 06:37 IST
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