Fatehabad News: राजकीय सम्मान के साथ शहीद मनोज दहिया हुए पंचतत्व में विलीन

भट्टू कलां। असम में शहीद हुए गांव पीलीमंदोरी के सैनिक मनोज दहिया का गांव के खेल स्टेडियम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सभी की आंखें नम हो गई। सवा तीन साल की बेटी हेजल ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान राजपूताना राइफल्स की ओर से पहुंची छह सदस्यीय टुकड़ी ने भी अपने साथी सैनिक को सलामी दी। असम में शहीद हुए गांव पीलीमंदोरी के सैनिक मनोज दहिया का पार्थिव शरीर सोमवार को गांव पहुंचा। भट्टू से ही शहीद को सैकड़ों वाहनों के काफिले के साथ गांव पीलीमंदोरी तक लाया गया। पत्नी ने किया सैल्यूट तो हर किसी की नम हो गई आंखेंशहीद मनोज का पार्थिव शरीर जब घर पहुंचा तो उनकी पत्नी संजू बाबा व परिवार के अन्य सदस्यों ने उन्हें सैल्यूट किया। यह देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। इसके बाद, मनोज दहिया के पार्थिव शरीर को स्टेडियम ले जाया गया, जहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गौरतलब है कि गांव पीलीमंदोरी निवासी बलवंत दहिया के बेटे मनोज दहिया नायक के तौर पर गुवाहटी असम में तैनात थे। वह ड्यूटी के दौरान रविवार को अचेत मिले। उन्हें तुरंत ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया। मनोज अपने पिता के इकलौते बेटे थे। वर्ष 2011 में फौज में भर्ती हुए थे।नेताओं ने अनदेखी कर दिल को चोट पहुंचाई : शहीद के पिताअंतिम संस्कार में न सांसद सुनीता दुग्गल आईं और न ही विधायक दुड़ाराम पहुंचे। इससे ग्रामीणों के साथ-साथ शहीद मनोज के 65 वर्षीय पिता बलवंत दहिया व ससुर राममूर्ति बैनीवाल भी काफी क्षुब्ध नजर आए। उन्होंने कहा कि उनका परिवार सैनिकों से भरा है। फिर भी राजनेताओं ने अनदेखी की है। गरीब का बेटा गया है, इसलिए नेताओं को क्या चिंता है। बलवंत दहिया ने कहा कि मुझे बेटा खोने का गम नहीं है, लेकिन विधायक, सांसद व प्रशासनिक अधिकारियों ने शहीद की अनदेखी कर दिल को चोट पहुंचाई है। वहीं, शहीद मनोज के ससुर राममूर्ति बैनीवाल ने कहा कि शहीद के अंतिम संस्कार के समय चंद मिनट देने के लिए विधायक, सांसद व अधिकारियों तक को समय नहीं मिला।पिता, दादा, भाई सब सैनिक रहेशहीद के पिता बलवंत सिंह ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि सेना में मेरे दादा सूबेदार थे, पिता हवलदार रहे हैं। वर्ष 1939 से 44 तक वे छह साल तक सिंगापुर जेल में रहे। मेरे छोटे भाई कृष्ण भी सूबेदार रिटायर हुए। मेरा बेटा भी सैनिक था, छोटे भाई का बेटा सोनू भी सेना में है। मगर, फिर भी राजनेताओं की अनदेखी सहन योग्य नहीं है। गांव के सरपंच धर्मवीर गोरछीयां ने भी कहा कि सत्ता में बैठे नेता व अधिकारी अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे, इसका हर ग्रामीणों को दुख है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 09, 2023, 23:42 IST
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