GST Reforms: अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में दिखेगा जीएसटी सुधार का असर, आम उपभोक्ताओं तक लाभ पहुंचाने पर सख्ती
जीएसटी दरों में कमी 22 सितंबर यानी नवरात्रों के पहले दिन से लागू हो जाएगी। इसके बाद नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली जैसे बड़े त्योहार आएंगे। इन त्योहारों के दौरान आम भारतीय उपभोक्ता पूरे साल में सबसे अधिक खरीदारी करते हैं। वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, कपड़ों, एफएमसीजी उत्पादों और भवन निर्माण-सजावटीवस्तुओं की खरीदारी भी इस दौरान सबसे ज्यादा होती है। ऐसे में जीएसटी दरों में कमी का सीधा असर अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में देखने को मिल सकता है। उपभोक्ताओं तक लाभ पहुंचाने पर सख्ती बरतेगी सरकार- आर्थिक विशेषज्ञ आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने अमर उजाला से कहा कि जीएसटी दरों में कमी का लाभ सीधे तौर पर आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए सरकार का पूरा मैकेनिज्म तैयार है। इंश्योरेंस और वाहनों की खरीद पर जीएसटी की गणना अलग से की जाती है। यह सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को मिल जाती है। लेकिन जो एफएमसीजी उत्पाद पहले से तय दरों पर मिलती हैं, उन क्षेत्रों में भी जीएसटी दरों में कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए पूरी व्यवस्था की जाएगी। सरकार ने इसके लिए सिस्टम तैयार कर लिया है और इसका संकेत औद्योगिक सेक्टर को भी दे दिया गया है। इसके पहले उद्योगपतियों को अनुचित लाभ लेने से रोकने के लिए एंटी प्रॉफिटियरिंग क्लॉज होता था। फिलहाल, इस नियम को समाप्त कर दिया गया है। लेकिन इसके बाद भी नई व्यवस्था में सरकार ने इस बात की व्यवस्था कर रखी है कि केंद्र सरकार के द्वारा जनता के लाभ के लिए उठाए गए कदम सीधे जनता तक पहुंच सकें। इसलिए यह सुनिश्चित किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा दिया गया लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचे। गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी को औद्योगिक क्षेत्र अपनी मूल कीमतों में कमी के तौर पर दर्शा सकते हैं। इसके अलावा वे उत्पादों की मात्रा बढ़ाकर भी यह लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचा सकते हैं। इससे इन वस्तुओं की खपत और निर्यात में बढ़ोतरी होगी। इससे प्राप्त अतिरिक्त आय से उत्पादकों को लाभ होगा और इसका लाभ देश और राज्यों को कर के रूप में प्राप्त होगा। निर्यात में कमी की होगी भरपाई अमेरिका इस समय हमारे उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक था। भारत अमेरिका सहित यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा हैंडीक्राफ्ट, कपड़े, किचन सामग्री, एफएमसीजी प्रॉडक्ट्सनिर्यात करता है। जीएसटी दरों में कमी के कारण अब इन देशों में भारतीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ोतरी मिल सकती है। अमेरिकी टैरिफ बढ़ने के बाद अमेरिका में निर्यात को लेकर जिस कमी की आशंका व्यक्त की जा रही है, यदि वह कमी होती भी है तो नए बाजारों की तलाश के साथ यह कमी पूरी की जा सकती है। अफ्रीकी देश भी इसमें भारत के नए बाजार बनकर उभर सकते हैं। राज्यों की आय में भी नहीं आएगी कमी तमाम आर्थिक एजेंसियों का अनुमान है कि जीएसटी दरों में कमी से भारत के उत्पादन-निर्यात में 1.75 लाख करोड़ रुपये से लेकर दो लाख करोड़ रुपये तक की वृद्धि का असर देखने को मिल सकता है। इस बढ़े निर्यात से केंद्र-राज्य सरकारोंको अतिरिक्त टैक्स मिलेगा। इससे जीएसटी दरों में कमी के स्थान पर उन्हें अधिक राजस्व प्राप्त हो सकता है। यानी जीएसटी दरों में कमी होने से केंद्र-राज्यों को नुकसान नहीं, लाभ हो सकता है। रोजगार में भी होगी बढ़ोतरी रोजगार में कमी सरकार के लिए चिंता का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है। लेकिन जीएसटी दरों में कमी के कारण घरेलू मांग और निर्यात की मांग को पूरा करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करेंगे। इसका सीधा असर रोजगार के सृजन के रूप में सामने आ सकता है। चूंकि, एफएमसीजी उत्पादों की खपत के रूप में ग्रामीण क्षेत्र नई उम्मीदों का केंद्र बनकर उभरे हैं, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी कामकाज बढ़ सकता है जो पूरे अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर के रूप में दिखाई दे सकता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 04, 2025, 21:05 IST
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