Bageshwar News: बारिश न होने से पैदा हो रहे सूखे जैसे हालात

39,174 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई बारिश पर निर्भर15 दिन में 20 मिमी बारिश हुई तभी संभलेंगे हालातबागेश्वर। चार महीने से बारिश नहीं होने का असर खेती-बाड़ी पर दिखने लगा है। असिंचित क्षेत्रों में होने वाली फसल सिंचाई नहीं होने से प्रभावित होने लगी है। बारिश, बर्फबारी न होने से तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है। आने वाले 15 दिनों तक अगर यही हालात रहे तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।जिले की 43,267 हेक्टेयर खेती की जमीन में 80 प्रतिशत से अधिक असिंचित है। कृषि विभाग के अनुसार मात्र 4093 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जाती है। इनमें 1458 हेक्टेयर जमीन पर नहरों पानी पहुंचता है। बाकी 2635 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई के लिए किसान अन्य वैकल्पिक साधनों से पानी जुटाते हैं। 39,174 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई बारिश के पानी पर निर्भर करती है।अक्तूबर के बाद से जिले में बारिश नहीं होने से गेहूं, सरसों, मसूर आदि के पौधे धीमी गति से बढ़ रहे हैं। कई पौधे खत्म होने की कगार पर हैं। बारिश नहीं होने का सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा।कृषि बीमा कराने वालों को मिलेगी राहतमुख्य कृषि अधिकारी एसएस वर्मा का कहना है कि बारिश नहीं होने से इस साल अनाज का उत्पादन काफी प्रभावित होगा। अगर किसानों ने कृषि बीमा कराया होगा तो उन्हें इस नुकसान से कुछ हद तक राहत मिल जाएगी। बीमा न कराने वाले किसानों पर अधिक असर पड़ेेगा। उन्होंने किसानों से 31 जनवरी तक अनिवार्य रूप से खाते को आधार से लिंक कराने और ई-केवाईसी कराने की भी अपील की है।कीवी, सेब का उत्पादन होगा प्रभावितबागेश्वर। बारिश और बर्फबारी नहीं होने का असर फल उत्पादकों पर भी पड़ेगा। जिले के कर्मी, झूनी, खलझूनी समेत पिंडर घाटी के गांवों में सेब का उत्पादन होता है। बिचला दानपुर के शामा, लीती, कर्मी, कौसानी आदि क्षेत्रों में कीवी की खेती की जाती है। इन फसलों को बर्फबारी की जरूरत होती है। बर्फबारी नहीं होने से इन फसलों की पैदावार पर भी असर पड़ सकता है।कोटइन दिनों कीवी, सेब, खुबानी, प्लम, आड़ू आदि फलों का पौधरोपण होता है, लेकिन बारिश नहीं होने से पौधरोपण करना संभव नहीं है। बर्फबारी नहीं होने से सेब की फसल को सबसे अधिक नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि सेब को तैयार होने के लिए 240 घंटे चिलिंग तापमान की जरूरत होती है, जो बर्फबारी से ही संभव होता है।-कुलदीप जोशी, सहायक उद्यान अधिकारीकोटबारिश न होने से फसलों की वृद्धि पर असर हुआ है। देर से बोये गए अनाज के जमाव में दिक्कत आ रही है, पूर्व में बोये गये अनाज की ग्रोथ धीमी हो गई है। हालांकि तापमान ज्यादा न बढ़ने और पाला गिरने से अभी पौधे मरने की स्थिति में नहीं हैं। आने वाले 15 दिनों के भीतर कम से कम 20 मिमी बारिश होनी बेहद जरूरी है। इस अवधि में बारिश नहीं हुई तो तापमान बढ़ेगा और फसल में वृद्धि की बजाय फूल आने लगेगा। अपरिपक्व फसल फूलने और फलने लगेगी तो उत्पादन प्रभावित हो जाएगा।- डॉ. कमल कुमार पांडेय, प्रभारी, कृषि विज्ञान केंद्र काफलीगैर

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 28, 2023, 23:48 IST
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