Delhi: मधुमेह रोगियों को मिलेगी राहत, कम जीआई वाली चावल की किस्म विकसित; पैदावार के लिए वाराणसी में ट्रायल
मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित लोगों के लिए राहत की खबर है। आईआरआरआई (इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने चावल की दो नई किस्में 147 और 162 विकसित की हैं। इनका जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) 55 और 57 है।यह सामान्य चावल की तुलना में काफी कम है, जिससे रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है और अचानक उछाल नहीं आता। ये किस्में मधुमेह रोगियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित विकल्प बन सकती हैं। इन किस्मों की पैदावार ओडिशा में शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश में पैदावार के लिए आईआरआरआई के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र वाराणसी में ट्रायल किया जा रहा है। इन किस्मों को भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस 25 में प्रदर्शित किया गया है। सीनियर एसोसिएट साइंटिस्ट ज्ञानदीप पांडिया ने बताया कि आईआरआरआई द्वारा फिलीपींस में किए गए मानव क्लीनिकल ट्रायल्स में इन किस्मों की प्रभावशीलता प्रमाणित हुई है। 12 लोगों पर किए गए परीक्षणों में पाया गया कि 147 का जीआई 55 और 162 का 57 है। अध्ययन में प्रतिभागियों के फास्टिंग ब्लड शुगर (एफबीएस), बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और हीमोग्लोबिन की जांच की गई। इसके परिणाम में सामने आया कि चावल किस्मों के सेवन से रक्त शर्करा में वृद्धि सामान्य चावल की अपेक्षाकृत धीमी हुई। वाराणसी मेें ट्रायल सफल होने पर शुरू होगी पैदावार इन किस्मों की ओडिशा में स्थानीय सरकार की मदद से पैदावार की जा रही है। पैदावार 4.2 से 5.5 टन प्रति हेक्टेयर के बीच पाई गई है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। अभी वाराणसी में किस्म की पैदावार को लेकर कृृषि भूमि व वातावरण पर परीक्षण किया जा रहा है। इसके सफल होते ही उत्तर प्रदेश में भी इन किस्म की पैदावार शुरू हो जाएगी। इसके अलावा रायपुर, हैदराबाद, कटक, हजारीबाग, त्रिपुरा में भी परीक्षण किया जा रहा है। कुकीज और पोहा भी खा सकते हैं पीड़ित इन चावलों से बने कुकीज और पोहा भी बाजार में बिक्री के लिए आ चुका है। यह भी मधुमेह के रोगियों के लिए तैयार किया गया है। आईआरआरआई दक्षिण एशिया केंद्र के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह का कहना है कि कम और मध्यम जीआई वाले चावल की ये किस्में भारत में स्वास्थ्य और कृषि दोनों क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। इससे मधुमेह जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। सामान्य चावल का 70 से 92 के बीच होता है ग्लाइसेमिक इंडेक्स भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)- इंडियाबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में भारत में डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या 10.1 करोड़ थी। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। आमतौर पर बाजार में उपलब्ध अधिकांश चावल की किस्मों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 70 से 92 के बीच होता है, जो उच्च श्रेणी में आता है और रक्त शर्करा के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी कर सकता है। ऐसे में कम जीआई वाले चावल का विकास एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि मानी जा रही है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 02, 2025, 07:12 IST
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