Infertility: प्रजनन विकारों की डरावनी तस्वीर, ब्रिटेन के हर क्लासरूम में एक बच्चा आईवीएफ से जन्मा

लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ आदतों ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लिहाजा पिछले एक-दो दशकोंमें क्रॉनिक बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों का खतरा न सिर्फ तेजी से बढ़ा है, बल्कि बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। जीवनशैली की गड़बड़ आदतों ने लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। आंकड़े बताते हैं कि पहले की तुलना में अब लोगों के लिए बिना डॉक्टरी मदद के कंसीव करना तक मुश्किल हो गया है। यही कारण है कि हाल के वर्षों में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया की मांग तेजी से बढ़ी है। आईवीएफ प्रजनन की एकतकनीक है जिसमें महिला के अंडों को प्रयोगशाला में शुक्राणु से निषेचित किया जाता है। इसके बाद बने हुए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे गर्भावस्था हो सके। यह उन दंपतियों के लिए उपयोगी है जिन्हें प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में कठिनाई होती है। किस तरह से लोगों में प्रजनन समस्याएं बढ़ती जा रही हैं और आईवीएफ पर लोगों की निर्भरता कितनी अधिक हो गई है, ये इस बात से स्पष्ट होता है कि मौजूदा समय में ब्रिटेन के हर क्लासरूम में औसतन एक बच्चा आईवीएफ से जन्मा हुआ माना जा सकता है। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर प्रजनन से संबंधित समस्याएं इतनी क्यों बढ़ गई हैं और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है, आइए इस बारे में जानते हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 28, 2025, 12:35 IST
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