चिंताजनक: अक्तूबर तीसरा सबसे गर्म महीना, समुद्री बर्फ का विस्तार घटा
धरती की ठंडी सांसें अब गर्म हो चली हैं। यूरोपीय एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अक्तूबर 2025 वैश्विक इतिहास का तीसरा सबसे गर्म महीना रहा। इस दौरान औसत वैश्विक तापमान 15.14 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो औद्योगिक युग से पहले की तुलना में 1.55 डिग्री सेल्सियस अधिक है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2025 संभवतः पृथ्वी के तीन सबसे गर्म वर्षों में शामिल होगा और यह स्पष्ट संकेत है कि अब जलवायु परिवर्तन भविष्य की चिंता नहीं, बल्कि वर्तमान की सच्चाई बन चुका है। सी3एस की रिपोर्ट के अनुसार अक्तूबर 2025 का तापमान 1991 से 2020 के औसत से 0.70 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज हुआ। यदि पिछले 12 महीनों नवंबर 2024 से अक्तूबर 2025 का औसत देखें तो वैश्विक तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक है। यानी वह सीमा जिसके आगे जलवायु प्रभाव अपरिवर्तनीय माने जाते हैं। यूरोपीय एजेंसी की उपनिदेशक डॉ. सामंथा बर्गेस के अनुसार हम अब उस दशक में हैं जहां डेढ़ डिग्री की सीमा केवल पार नहीं होगी, बल्कि पीछे छूट जाएगी। अक्तूबर 2025 भले सबसे गर्म महीना न हो, लेकिन यह साफ संकेत है कि धरती अब तेजी से बदल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही 2025 अब तक का सबसे गर्म वर्ष न बने, पर यह 2023 और 2024 के साथ मिलकर पृथ्वी के तीन सबसे गर्म वर्षों की सूची में जरूर शामिल होगा। अनुमान है कि इन तीन वर्षों का औसत तापमान पहली बार 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाएगा जो जलवायु इतिहास में अभूतपूर्व होगा। ध्रुवों पर पिघलती उम्मीदें आर्कटिक में अक्तूबर के दौरान समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से 12% कम रहा। यह जलवायु इतिहास में इतिहास में तीसरा सबसे कम स्तर था। अंटार्कटिका में स्थिति और भी गंभीर रही। वहां समुद्री बर्फ औसत से 6% कम रही, जो अब तक की तीसरी सबसे कम मात्रा है। विशेष रूप से बेलिंग्सहाउजेन सागर और हिंद महासागर क्षेत्र के आसपास तापमान सामान्य से कहीं अधिक दर्ज हुआ। असमान वर्षा, असमान भविष्य अक्तूबर 2025 में मौसम का मिजाज पूरी तरह बिखरा हुआ दिखा। दक्षिण-पूर्वी यूरोप, नॉर्वे, फ्रांस, और ग्रीस में अत्यधिक वर्षा, जबकि स्पेन, इटली, आइसलैंड और पूर्वी यूरोप में बरसात की भारी कमी दर्ज की गई। यूरोप से बाहर उत्तरी भारत, नेपाल, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी चिली में वर्षा सामान्य से अधिक रही, जबकि अरब प्रायद्वीप, पूर्वी कनाडा और अफ्रीका के उत्तरी हिस्सों में सूखे का असर देखा गया।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 11, 2025, 03:51 IST
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