Basti News: अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहे बस्ती की बेटी अनुश्री के कदम

स्पेस विषय पर ही इंग्लैंड में कर रहीं पीएचडीअनुश्री के लिए कल्पना चावला आदर्शसंवाद न्यूज एजेंसीबस्ती। हौसलों की राह पर चलते हुए आसमां चूमने का सपना यदि कोई ठान ले तो उसे आसानी से सच किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया बस्ती की बेटी अनुश्री ने। कल्पना चावला को आदर्श मानने वाली अनुश्री को नासा ने एक अप्रैल 2020 से प्रशिक्षण के लिए बुलावा भेजा था, मगर लॉकडाउन की वजह से प्रशिक्षण टल गया था। अगली तिथि अभी तक अनुश्री को नहीं मिली है। अनुश्री को नासा ने यूनाइटेड किंगडम यानी इंग्लैड के कालचेस्टर सिटी में माइक्रो आइट्रोलॉजी अर्थात स्पेस विषय से पीएचडी के लिए भेजा था, जिसकी थीसिस जमा हो गई है। बस्ती की बेटी अनुश्री के कदम अंतरिक्ष की ओर बढ़ चले हैं, जिसे लेकर वह भी पूरी तरह आश्वस्त हैं।शहर के गांधी नगर निवासी रेलवे के अधिकारी राकेश श्रीवास्तव व सुनीता की इकलौती बेटी कुशाग्र बुद्धि की हैं। इससे परिवार ने उसे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। वर्ष 2003 में लखनऊ में तैयारी के दौरान कल्पना चावला की अंतरिक्ष अभियान से लौटते समय मौत होने की घटना ने अनुश्री को झकझोर दिया।अनुश्री सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थीं। इसी बीच उन्होंने साइंस की पुस्तक में मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश के बारे में गंभीरता से पढ़ा। इसके बाद सिविल सर्विसेज से उनका मन उचट गया और यहीं उनके मन में मंगल ग्रह अभियान में शामिल होने का बीज रोपित हो गया। परास्नातक करने के दौरान अनुश्री ने लखनऊ में बाॅयो एक्सिस डीएनए रिसर्च सेंटर से बाॅयो टेक्नोलॉजी में शार्ट टर्म प्रोजेक्ट का प्रशिक्षण लेकर जीवन की दिशा मोड़ दी। इसी बीच इंग्लैंड की एक निजी संस्था यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स ने एमएससी का ऑफर दिया, जिसे अनुश्री ने स्वीकार कर लिया।वहां पढ़ाई के दौरान अमेरिका की एक निजी कंपनी ने मंगल ग्रह अभियान के लिए यूटा के रेगिस्तान में प्रशिक्षण के लिए प्रस्ताव दिया। यहां भारत से अनुश्री के अलावा सात देशों के प्रशिक्षणार्थियों के साथ मंगल ग्रह के वातावरण में रहने का प्रशिक्षण दिया गया। मंगल ग्रह अभियान को समर्पित है जीवन अनुश्री बताती हैं कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें हैब से बाहर आने पर पंद्रह किलो का स्पेस सूट पहन कर काम कराया जाता था। दो माह नार्थ पोल यानी उत्तरी ध्रुव के करीब प्रशिक्षण दिया गया, जहां दो माह में कभी रात नहीं देखी। यही नहीं इंग्लैंड में मंगल ग्रह से संबंधित वैज्ञानिक प्रयोग के लिए धरती के 1.1 किमी नीचे नमक की खदान में पंद्रह दिन का प्रशिक्षण मिला। अनुश्री ने कहा कि उनका जीवन अब मंगल ग्रह पर जीवन की खोज के लिए समर्पित है। वह कहती हैं कि मिशन अंतरिक्ष का सफर अभी लंबा है। फिर भी मंगल ग्रह के अभियान में खुद की भागीदारी को लेकर आश्वस्त हूं। इंग्लैंड में पीएचडी की थीसिस जमा करने के बाद वह यहां आई थीं। सोमवार को फिर से इंग्लैंड रवाना हो गईं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 24, 2023, 00:26 IST
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Anushree



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