अकोला दंगा: हिंदू-मुस्लिम अफसरों वाली SIT गठन पर 'सुप्रीम' रोक, महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के अकोला दंगे से जुड़े एक मामले की जांच के लिए हिंदू व मुस्लिम अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के अपने 11 सितंबर के आदेश पर रोक लगा दी। सीजेआई जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन व जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने यह रोक तब लगाई जब इससे पहले वाली पीठ ने 7 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार की 11 सितंबर के फैसले की समीक्षा की याचिका पर खंडित फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए स्थगन आदेश पारित किया। महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया। जिसके बाद पीठ ने मामले में नोटिस जारी करने का निर्णय लिया। प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। साथ ही न्यायालय ने निर्णय के पैराग्राफ 24 को स्थगित कर दिया। इसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय के सचिव के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम(एसआईटी) गठित कर मोहम्मद अफजल मोहम्मद शरीफ के आरोपों की जांच का निर्देश देने का उपयुक्त मामला है। पुलिस ने नहीं दर्ज की थी एफआईआर मामले के मुताबिक, मई 2023 में महाराष्ट्र के अकोला में पैगंबर मुहम्मद के बारे में सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक पोस्ट के बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। इस घटना में विलास महादेवराव गायकवाड़ नामक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और मोहम्मद अफजल मोहम्मद शरीफ (उस समय 17 वर्षीय) घायल हो गया। अफजल के अनुसार, उसने चार लोगों को एक व्यक्ति (गायकवाड़) पर तलवार, लोहे के पाइप और अन्य वस्तुओं से हमला करते देखा। जब अफजल घटनास्थल पर रुका, तो हमलावरों ने उस पर भी हमला किया और उसका वाहन जला दिया। अफजल को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और पुलिस ने उसका बयान दर्ज किया लेकिन कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 12, 2025, 05:00 IST
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