High Court : असंज्ञेय अपराध में आरोप पत्र पर कार्यवाही अवैध, मुकदमे में जारी समन व आरोप पत्र रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि असंज्ञेय अपराध में आरोप पत्र पर कार्यवाही अवैध है। ऐसे मामलों को परिवाद के रूप में दर्ज करना चाहिए। उसी के अनुरूप कार्यवाही संचालित करना ही सही कानूनी प्रक्रिया है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की अदालत ने झांसी निवासी सुधांशु त्रिपाठी के खिलाफ 2009 में दर्ज मुकदमे में जारी समन व आरोप पत्र को रद्द कर दिया। मामला झांसी के गरौठा थाना क्षेत्र का है। वर्ष 2009 में याची के खिलाफ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप मेंं मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने मामले की विवेचना कर मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए याची को बतौर आरोपी तलब किया था। इसके खिलाफ याची के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याची के अधिवक्ता नीरज तिवारी ने दलील दी कि आईपीसी की धारा 427 असंज्ञेय अपराध है। यह असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले में सीआरपीसी की धारा 155(2) के तहत मजिस्ट्रेट की अनुमति नहीं ली गई, फिर भी पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया है। लिहाजा, यह आपराधिक कार्यवाही अवैध है। वहीं, अपर शासकीय अधिवक्ता ने दलील दी कि असंज्ञेय अपराध में पुलिस की रिपोर्ट शिकायत ही मानी जाएगी। लिहाजा, कोर्ट ने याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करतेे हुए मजिस्ट्रेट के संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि आगे की कार्यवाही शिकायत के रूप में की जाएगी। संवाद
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 17, 2025, 14:27 IST
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