कभी हां, कभी ना: भारत से जुड़ा ट्रंप का सकारात्मक बयान उनकी शैली की एक बानगी, इन बातों का कोई अर्थ केवल तभी...

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रति सकारात्मक रुख दिखाते हुए प्रधानमंत्री मोदी को ग्रेट प्राइम मिनिस्टर और भारत से रिश्ते को जो खास बताया है, वह उनकी कभी हां कभी ना वाली शैली की बानगी है। हालांकि कुछ समय से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई है, लेकिन ट्रंप के ताजा बयान इस बात का संकेत देते हैं कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी अब भी कायम है। ट्रंप के बयान में यह नरमी हताशा भरे उस बयान के ठीक बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि लगता है, हमने भारत को खो दिया है। यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने संतुलित ढंग से इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। गौरतलब है कि अगस्त में ट्रंप प्रशासन ने रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी तक का भारी दंडात्मक शुल्क थोप दिया, जिससे कुछ ही दिनों के भीतर दोनों देशों के दोस्ताना रिश्ते शत्रुतापूर्ण लगने लगे थे। लेकिन अब ट्रंप के रुख में बदलाव दर्शाता है कि जब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हित टकराते हैं, तो द्विपक्षीय रिश्तों में अप्रत्याशित मोड़ आते ही हैं। तिस पर ट्रंप की अपनी एक खास शैली तो है ही। दरअसल, भारत पर भारी टैरिफ थोपे जाने के चलते अमेरिकी मीडिया और राजनीतिक गलियारे में ट्रंप की नीतियों की आलोचना होने लगी थी। इस घरेलू दबाव के साथ-साथ भारत द्वारा नए व्यापारिक गंतव्यों की तलाश ने ट्रंप को अपने सुर बदलने पर मजबूर कर दिया। दरअसल, ट्रंप दबाव की रणनीति अपनाकर व्यापार वार्ता में भारत से अतिरिक्त फायदा उठाना चाहते थे, जबकि भारत ने पूरी कामयाबी के साथ यह दर्शाया है कि वह किसी के आगे झुके बगैर रणनीतिक स्वायत्तता के सिद्धांत का पालन करता है और स्वतंत्र रूप से विभिन्न देशों से रिश्ते बनाए रखना चाहता है। अब जबकि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के ट्रंप के बाद दोनों देशों के रिश्ते में सुधार की संभावना दिख रही है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई में अमेरिका के रुख में कोई बदलाव आया है या जैसा कि कुछ रणनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ट्रंप के बयान पर फिलहाल कोई ठोस नतीजा नहीं निकाला जा सकता। दरअसल यह घटनाक्रम अमेरिका, रूस एवं चीन के बीच चल रहे अंतरराष्ट्रीय सत्ता संतुलन का एक जीवंत प्रतीक भी है, जिसमें भारत अपनी स्वायत्त कूटनीति से अपनी जगह बना रहा है। बहरहाल, पिछले दिनों हुए घटनाक्रमों के बाद ट्रंप द्वारा रिश्तों में जमी बर्फ पिघलाने की पहल किया जाना कूटनीति के तराजू पर भारत का पलड़ा भारी रहने का संकेत तो देता ही है। फिर भी ट्रंप के बार-बार बदलते रुख के मद्देनजर भारत को खुद को संतुलित रखते हुए कूटनीतिक सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 08, 2025, 06:27 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




कभी हां, कभी ना: भारत से जुड़ा ट्रंप का सकारात्मक बयान उनकी शैली की एक बानगी, इन बातों का कोई अर्थ केवल तभी... #Opinion #National #America #India #DonaldTrump #PmNarendraModi #SubahSamachar