यासिर मालिक: जिस के मिलने से कुछ नहीं मिलता उस को पाने की आस होती है
रात जब भी उदास होती है वो मिरे आस-पास होती है जिस के मिलने से कुछ नहीं मिलता उस को पाने की आस होती है तीरगी ज़ब्त आज़माती है रौशनी ग़म-शनास होती है अब उसे हो सितम से क्यों परहेज़ 'आशिक़ी बद-हवास होती है ख़्वाब में जब भी तुम से मिलता हूँ नींद में इक मिठास होती है हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 27, 2025, 12:05 IST
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