मायावती को क्यों रद्द करनी पड़ी 6 दिसंबर को नोएडा में होने वाली रैली?

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर होने वाले 6 दिसंबर के नोएडा कार्यक्रम में शामिल न होने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से साझा की। मायावती ने कहा कि वह अपने आवास पर ही बाबा साहेब को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगी और इस बार पार्टी की ओर से कार्यकर्ताओं को दो अलग-अलग स्थलों पर आयोजन करने के निर्देश दिए गए हैं। ट्वीट में मायावती ने याद दिलाया कि उनके नेतृत्व में बनी बीएसपी सरकारों ने बहुजन आंदोलन के संतों, गुरुओं और महापुरुषों जैसे महात्मा ज्योतिबा फुले, शाहूजी महाराज, श्री नारायणा गुरु, बाबा साहेब आंबेडकर और कांशीराम को राज्य में भरपूर सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि जातिवादी विचारधारा वाली सरकारों ने इन महापुरुषों की हमेशा उपेक्षा की, लेकिन बीएसपी शासनकाल में इनके नाम पर बड़े-बड़े स्मारक, पार्क और जनकल्याण योजनाएं शुरू की गईं। उन्होंने बताया कि लखनऊ का आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल और नोएडा का राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल अब अनुयायियों के लिए तीर्थस्थल बन गए हैं, जहाँ जयंती और पुण्यतिथि के अवसरों पर भारी भीड़ उमड़ती है। मायावती ने कहा कि बड़े आयोजनों में उनके पहुंचने पर सुरक्षा कारणों से प्रशासन को विशेष इंतज़ाम करने पड़ते हैं, जो आवश्यक होने के बावजूद आम कार्यकर्ताओं और परिवार के सदस्यों के लिए भारी परेशानी का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा प्रबंधों के चलते लोगों को मुख्य स्थल से काफी दूर रोक दिया जाता है, जिससे वे असुविधा महसूस करते हैं। इसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए उन्होंने फैसला लिया कि अब वह स्वयं इन स्थलों पर जाकर श्रद्धांजलि नहीं देंगी, बल्कि अपने निवास या पार्टी कार्यालय में ही कार्यक्रम करेंगी। बीएसपी सुप्रीमो ने स्पष्ट निर्देश दिए कि बाबा साहेब की पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों के कार्यकर्ता और समर्थक लखनऊ के आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर पहुंचें। वहीं, पश्चिमी यूपी, दिल्ली और उत्तराखंड के बीएसपी कार्यकर्ताओं और अनुयायियों को नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर परिवार सहित जाकर श्रद्धांजलि देने का आह्वान किया गया है। मायावती ने कहा कि लोग बाबा साहेब के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर बहुजन आंदोलन को आगे बढ़ाएं, ताकि बीएसपी सत्ता की “मास्टर चाबी” प्राप्त कर उनके स्वाभिमान व आत्मसम्मान के मिशन को आगे ले जा सके। मायावती का यह निर्णय आगामी चुनावी वर्ष को देखते हुए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बड़े सार्वजनिक आयोजनों की जगह नियंत्रित और औपचारिक कार्यक्रम की ओर यह बदलाव, सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन को लेकर उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। साथ ही यह संदेश भी जाता है कि बीएसपी अपने सामाजिक आंदोलन के प्रतीकों के प्रति प्रतिबद्ध है और वह अपने समर्थकों को बिना असुविधा के संगठनात्मक दिशा देना चाहती है। मायावती का यह फैसला संगठन के भीतर अनुशासन, सुरक्षा और जनसुविधा तीनों को ध्यान में रखकर लिया गया एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 04, 2025, 04:03 IST
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