Noida News: संशोधित खबर- हां, हमने देश को अपना सिंदूर दान किया है... पर युद्ध से सिर्फ तबाही आती है

- जिले में रहती हैं 17 शहीद सैनिकों की पत्नियां, जिन्होंने युद्ध में दुश्मनों को पटकनी दी- गर्भवती पत्नियां को छोड़कर युद्ध के मैदान में गए थे सैनिक- महिलाओं ने कहा, युद्ध की नौबत तक नहीं पहुंचनी चाहिए बातनेहा शर्मानोएडा। भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पर्यटकों के इंसाफ के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इसने जिले में रहने वालीं युद्ध में शहीद हुए 17 सैनिकों की पत्नियों के घावों को फिर हरा कर दिया था। वह खुलकर कहती हैं कि हमने देश के खातिर सिंदूर दान किया और हमें इसका मलाल नहीं, बल्कि गर्व है। हालांकि वह यह भी कहती हैं कि युद्ध से सिर्फ तबाही लाता है।बेटे का जन्म हुआ तो उसके सिर पर पिता का साया नहीं थादादरी में रहने वाली 85 वर्षीय पर्संदी देवी बताती हैं कि उनके पति तेजपाल सिंह का जन्म 1936 में हुआ था और 1956 में आर्मी में नियुक्ति हुई। वो बताती हैं कि शादी के कुछ महीने बाद ही 1962 के युद्ध में जाना पड़ा। उस दौरान वह गर्भवती थीं। सूचना की क्रांति की वजह से अभी तो पल पल की सूचनाएं मिल पा रही है। लेकिन उस दौरान यह संभव नहीं था। इस दौरान कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई। बस एक दिन उनके शहीद होने की सूचना आई, लेकिन उनका पार्थिव शरीर नहीं मिला। जब उनके बेटे का जन्म हुआ, तो उसके सिर पर पिता का साया नहीं था। युद्ध तबाही लेकर आता है।--------------जब युद्ध का संदेश आया तब 15 दिन की गर्भवती थी दादरी ब्लॉक के दादूपुर खटाना गांव में रहने वाली 65 वर्षीय सरोज खटाना की शादी को केवल एक साल हुआ था, जब उनके पति रामबीर सिंह 1971 के युद्ध में चले गए। उस दौरान वह 15 दिन की गर्भवती थीं। उन्होंने बताया, 24 साल की उम्र में मेरे पति शहीद हो गए। उस समय मेरी उम्र सिर्फ 20 साल थी। उनकी मृत्यु के सात महीने बाद मुझे बेटा हुआ, उसे अपने पिता का साया भी नसीब नहीं हो सका। लेकिन एक साल पहले मेरे बेटे की भी मृत्यु हो गई। अब मैं अपनी बहू और दो पोतों व एक पोती के साथ रहती हूं।----------पति ने देश के लिए दिया बलिदानकासना गांव की रहने वाली जयवती के पति धनीराम 1962 के भारत-चीन युद्ध में 20 साल की उम्र में शहीद हो गए थे। आज भी जब कोई उनसे उनके पति के बारे में पूछता है, तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं। हालांकि, वह दृढ़ता से कहती हैं, मेरे पति ने देश के लिए अपनी जान दी। इसका हमें कोई अफसोस नहीं है। वह यह भी कहती हैं कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि युद्ध की नौबत ही नहीं आए। उनका बेटा एक निजी कंपनी में कार्यरत है और बताता है कि जब उसके पिता की मृत्यु हुई थी, तब वह बहुत छोटा था।-------------

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 10, 2025, 17:27 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




Noida News: संशोधित खबर- हां, हमने देश को अपना सिंदूर दान किया है... पर युद्ध से सिर्फ तबाही आती है #Yes #WeHaveDonatedOurVermilionToTheCountry... #SubahSamachar