Meerut News: पृथ्वी पर जब अत्याचार बढ़ा, तब प्रभु का अवतार हुआ

श्रद्धालुओं ने किया श्रीमद्भागवत गीता का श्रवण संवाद न्यूज एजेंसीहस्तिनापुर। कस्बे की न्यू ब्लॉक के शांति चौराहे पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में चौथे दिन मथुरा वृंदावन से आए नीलांशु दास महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्मलीला का वर्णन किया। कहा कि प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ्य को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक नीलांशुदास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर अवतरित होने से लेकर युवा अवस्था तक विभिन्न लीलाएं दिखाई। अनेकों राक्षसों का संहार किया। उन्होंने श्रीकृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं। इसके बाद भी वह अपने माता-पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से कथा में मौजूद वृंदावन से आए रूपानंद महाराज ने धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्री हरि विष्णु ने देवकी माता के अष्टम पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। इसी प्रकार त्रेता युग में लंकापति रावण के अत्याचारों से जब धरा डोलने लगी तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया, ऐसे तमाम प्रसंग श्रोताओं को सुनाए।इस मौके पर नारायण नियोगी, डाॅ. स्वदेश शर्मा, निकांत बाला, बबलू विश्वास, विकास गोलदार, रतन विश्वास, प्रतीश शर्मा, सुभाष मालाकार, कृष्ण कीर्तनीय, अमित सरकार, तरुण सरकार आदि का सहयोग रहा। श्रीमद् भागवत कथा में सजी शिव पार्वती स्वरूप की झांकी स्रोत संवाद

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 13, 2025, 19:17 IST
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