Chandigarh: हाउसिंग बोर्ड के 60 हजार मकानों पर वाॅयलेशन के नोटिस, ठोस नीति बनाने में असफल प्रशासन

चंडीगढ़ में हाउसिंग बोर्ड के 90 फीसदी मकानों पर बिल्डिंग वॉयलेशन और मिसयूज के नोटिस चल रहे हैं। केवल 10 फीसदी ही मकान ऐसे होंगे, जो वाॅयलेशन के दायरे में नहीं आते। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के शहर में 66 हजार मकान है, इनमें 60 हजार मकानों पर तो नोटिस ही चल रहे हैं। मकान के कवर एरिया के अंदर अगर कोई निर्माण कर जरूरी बदलाव कर लेता है तो हाउसिंग बोर्ड की ओर से उसे तुरंत नोटिस जारी कर दिया जाता है। जबकि एस्टेट ऑफिस के ज्यादातर मामले इंडस्टि्रयल, कॉमर्शियल,शॉप्स और बूथ से जुड़े हैं। पिछले 25 साल से शहर की हाउसिंग बोर्ड की संपत्तियों के वॉयलेशन और मिसयूज के मामले चल रहे हैं। इस पर प्रशासन अब तक कोई ठोस नीति बनाने में असफल रहा है। जिसका खामियाजा शहर की जनता भुगत रही है। सेक्टर-44 बी के मकान नंबर-1329 निवासी चरणजीत सिंह भी वॉयलेशन के नोटिस की मार झेल रहे थे। वन टाइम सेटलमेंट फीस लेकर लोगों को दी जाए राहत क्राफ्ड के चेयरमैन हितेश पूरी ने कहा कि इन बिल्डिंग वॉयलेशन और मिसयूज के नोटिसों को लेकर प्रशासन को कोई नीति लानी चाहिए। जिससे लोगों को राहत मिल सके। लंबे अरसे से लोग इन नोटिसों से परेशान है। प्रशासन को इन नोटिस को हल करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट फीस से जुड़ी नीति लानी चाहिए। ताकि जिन लोगों ने अपने मकान में कोई छोटे-मोटे बदलाव किये हैं, उनकी जरूरत को देखते हुए इन निर्माण को फीस के साथ रेगुलराइज किया जा सके। इंडस्टि्रयल और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी पर भी पड़ रही मार बिल्डिंग वॉयलेशन और मिसयूज का खामियाजा सिर्फ आम जनता ही नहीं बल्कि इंडस्टि्रयल और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के मालिक भी झेल रहे हैं। यही कारण है कि शहर की कई इंडस्ट्रीज मोहाली और पंचकूला में अपना कारोबार शिफ्ट कर रही है। अब शहर में केवल सर्विस सेक्टर से जुड़ी ही ज्यादातर इंडस्ट्रीज नजर आती हैं। यही हाल कॉमर्शियल प्रॉपर्टी का है। मध्यमार्ग के सेक्टर-7, 8, 9 और 26 की कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के मालिकों को बिल्डिंग रुल्स में रियायत नहीं मिलने के कारण कई प्रॉपर्टी खंडहर बन चुकी है। मध्यमार्ग पर स्थित कई प्रॉपर्टी ऐसी है, जिन पर अगर वॉयलेशन और मिसयूज की पेनेल्टी यानी जुर्माना राशि की अगर बात करें तो उन पर एस्टेट ऑफिस ने एक से डेढ़ करोड़ रुपये तक जुर्माना लगा रखा है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एसोसिएशन चंडीगढ़ के पूर्व एडवाइजर सुभाष शर्मा ने कहा कि चंडीगढ़ के अलावा अन्य शहरों में ऐसे मामलों में कंपाउंडिंग फीस लगाकर उन्हें नियमित कर दिया जाता है, परंतु चंडीगढ़ में केंद्र सरकार की कठोर नीतियों के चलते ऐसा नहीं होता। कॉलोनाइजरों और बिल्डरों की वजह से भी नहीं हल हो रहे मुद्दे चंडीगढ़ से सटे एरिया में कॉलोनाइजर, डेवलपर और बिल्डरों के कारण भी शहर की कई पॉलिसी प्रभावित होती है। उसका एक उदाहरण शेयर वाइज प्रॉपर्टी की सेल परचेज पर रोक है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एसोसिएशन के प्रधान विक्रम चोपड़ा ने कहा कि प्रशासन को सबसे पहले वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी लानी चाहिए। इसके अलावा जो अज्ञात शिकायतें प्रॉपर्टी की वॉयलेशन और मिसयूज को लेकर आती है, उनकी पहले वेरिफिकेशन करानी चाहिए। शहर में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए भी इस प्रकार के नोटिस दिलवाये जाते हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 06, 2025, 07:13 IST
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