हिसार के स्वतंत्रता सेनानी शिव दयाल मल्होत्रा ने देश को आजाद करवाने में निभाई अहम भूमिका

स्वतंत्रता सेनानी शिव दयाल मल्होत्रा ने देश को आजाद करवाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि इसके लिए उन्हे काफी यातनाएं सहनी पड़ी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 4 साल तक उन्हें लाहौर जेल में बंद रहे। 9 माह तक उन्हें लाहौर किले में नजरबंद रखा गया। यही नहीं एक अंग्रेज अधिकारी को पीटने पर उन्हें डेढ़ साल की कठोर सजा काटनी पड़ी। शहर के निरंकारी भवन रोड निवासी व स्वतंत्रता सेनानी शिव दयाल मल्होत्रा के पौत्र विपिन मल्होत्रा बताते हैं कि उनके दादा शिव दयाल मल्होत्रा का जन्म वर्ष 1908 में लाहौर में हुआ था। उनके पिता का नाम संतलाल मल्होत्रा था। उनके दादा ने स्नातक पास की। कॉलेज के दिनों में उन्हाेंने महात्मा गांधी के भाषणों को सुना और इनसे प्रभावित होकर वह देश की आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। इन आंदोलनों में लिया भाग वर्ष 1940 में उन्होंने व्यक्ति सत्याग्रह आंदोलन, वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। इस पर अंग्रेजों ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया। इस दौरान अंग्रेजों ने उनके परिवार को भी खूब प्रताड़ित किया। इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर चार साल तक लाहौर व मुल्तान जेल में नजरबंद रखा गया जहां उन्हें खूब प्रताड़ित किया गया। मगर जेल से बाहर आते ही वह फिर से आंदोलन में शामिल हो गए। फिर से उन्हें 9 माह के लिए लाहौर किले में नजरबंद रखा गया। विपिन मल्होत्रा ने बताया कि उनके दादा को काला पानी की सजा भी सुनाई गई थी। मगर कुछ कारणों की वजह से उनकी सजा रोक दी गई। अंग्रेज अधिकारी को पीटा वर्ष 1941 में शिव दयाल मल्होत्रा ने एक अंग्रेज अधिकारी को पीट दिया था। इस पर उन्हें डेढ़ साल की सजा सुनाई गई। हालांकि उन्हें यह भी कहा कि अगर वह 100 रुपये जुर्माना भर देंगे तो उनकी यह सजा माफ हो जाएगी। मगर वह 100 रुपये नहीं दे सकते थे तो उन्होंने सेंट्रल जेल अंबाला में पूरी डेढ़ साल की सजा काटी। मगर यह सजा पूरी करने के बाद भी उनके साथी ने 100 रुपये जुर्माना भरकर उन्हें रिहा करवाया। देश की आजादी के बाद अमृतसर में आकर बसे देश के आजाद होने के बाद उसके दादा परिवार के साथ अमृतसर में आकर बसे। वह खाली हाथ यहां आए थे तो यहां भी उनका संघर्ष जारी रहा। हालांकि बाद में उन्हें सरकार ने बीडीपीओ के पद पर तैनात किया। वह पद से सेवानिवृत्त हुए। 16 जनवरी 1982 को उनका देहांत हो गया। उनका एक बेटा देवेंद्र मल्होत्रा और दो बेटियां पुष्पा बजाज व ऊषा खन्ना हैं। दादा के देहांत के बाद उनकी दादी भगवती मल्होत्रा ने हिसार रहने का फैसला किया। नेताजी सुभाष जनकल्याण संगठन बनाया विपिन मल्होत्रा ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानियों, उनकी विरांगनाओं व उत्तराधिकारियों की जनकल्याण योजनाओं को लागू करवाने के लिए बनाया गया है। आज हमारे देश को आजाद हुए 78 साल हो चुके हैं। बाजवूद इसके कई स्वतंत्रता सेनानी, उनकी विरांगनाएं व उत्तराधिकारी आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं। हमने सरकार से मांग की हुई कि स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों को दो प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। साथ ही प्रथम पीढ़ी को कुटुंब पेंशन दी जाए जो उत्तराखंड सरकार की तरफ से दी जा रही है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 09, 2025, 12:18 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »


हिसार के स्वतंत्रता सेनानी शिव दयाल मल्होत्रा ने देश को आजाद करवाने में निभाई अहम भूमिका #SubahSamachar