पहले सांसद डॉ. बर्क ने वंदे मातरम का विरोध किया था, अब जियाउर्रहमान ने भी आपत्ति की

वंदे मातरम गीत है और इस गीत में हमारे मजहब के खिलाफ कुछ शब्द हैं। मेरे दादा मोहतरम ने भी इसका विरोध किया था। मैं भी उनका समर्थन करता रहा हूं और कभी इस गीत को नहीं गाना है। राष्ट्रगान का हम पूरा सम्मान करते हैं। पूरे सम्मान के साथ हम उसका गान भी करते हैं। लेकिन वंदे मातरम गाने के लिए कोई बाध्य भी नहीं कर सकता है। यह कहना है संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क का। सांसद ने अपने दीपा सराय स्थित आवास पर मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद उनके दादा डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने भी वंते मातरम का हमेशा विरोध किया था। वह भी इसको नहीं गाएंगे। क्योंकि इसमें हमारे मजहब के खिलाफ शब्द हैं। आगे कहा कि वंदे मातरम के गाने के लिए किसी को बाध्य भी नहीं किया जा सकता है। कहा कि हमारा मजहब केवल एक अल्लाह की इबादत करने की इजाजत देता है, इसलिए वे किसी अन्य स्थान को सजदा नहीं कर सकते।सांसद ने कहा कि यह मैं नहीं या हमारा संविधान नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने भी 1986 के केरल केस में जब तीन बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया था, तब यह कहा था कि यह गाने के लिए आप बाध्य नहीं कर सकते है। मालूम हो डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने भी संसद में वंदे मातरम का विरोध किया था और सदन को छोड़कर बाहर आ गए थे। सांसद ने बिहार चुनाव पर कहा कि भाजपा मुद्दों पर चुनाव नहीं लड़ रही है। बल्कि मुद्दों से भटका कर चुनाव लड़ा जा रहा है। सांसद ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया है उससे पूरा देश हैरान है। प्रधानमंत्री के द्वारा इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 10, 2025, 19:34 IST
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