US tariff: अमेरिकी टैरिफ से बंगाल के निर्यात उद्योग पर दबाव, चमड़ा-सीफूड और इंजीनियरिंग सेक्टर को खतरा
अमेरिकी टैरिफ से पश्चिम बंगाल के निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य के श्रम आधारित चमड़ा, इंजीनियरिंग और समुद्री क्षेत्रों को त्योहारी सीजन से पहले नुकसान होने की संभावना है। ये भी पढ़ें:कपड़े, आभूषण और:ट्रंप के टैरिफ 50% होने का क्या नतीजा, किस सेक्टर पर होगा कितना असर; कौन रहेगा बेअसर उत्पादन पड़ा है ठप रूसी तेल की खरीद के लिए भारतीय उत्पादों पर बढ़ा हुआ शुल्क बुधवार से लागू हो गया है। इससे भारत पर कुल 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ हो गया है। निर्यातकों ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक हालात और अमेरिकी टैरिफ की वजह से उनका शिपमेंट और यहां तक की उत्पादन भी फिलहाल ठप हो गया है। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ के (फियो) के क्षेत्रीय अध्यक्ष (पूर्व) और एक प्रमुख समुद्री निर्यातक योगेश गुप्ता ने बताया कि समुद्री निर्यात में बंगाल के वार्षिक निर्यात के अधिकांश हिस्से पर दबाव पड़ सकता है। सीफूड निर्यात में बंगाल की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत भारत के सीफूड निर्यात में राज्य की 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिले में उगाई जाने वाली झींगा किस्मों का प्रभुत्व है। भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (पूर्व) के अध्यक्ष राजर्षि बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल से अमेरिका को होने वाले कुल 8,000 करोड़ रुपये के निर्यात में से राज्य से होने वाले कम से कम 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये के समुद्री निर्यात पर सीधा असर पड़ रहा है। गुप्ता ने चेतावनी दी कि प्रसंस्करण इकाइयों में लगभग 7,000 से 10,000 नौकरियां और कृषि स्तर पर इससे भी अधिक नौकरियां खतरे में हैं। आंध्र प्रदेश कर सकता है प्रतिस्पर्धा उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश जैसे राज्य गैर-अमेरिकी बाजारों में बंगाल के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर देंगे। वर्तमान में, आंध्र प्रदेश स्थित निर्यातक अमेरिका पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और देश में उनकी उपस्थिति काफी अधिक है। चमड़ा निर्यात में बंगाल का योगदान लगभग आधा चमड़ा उद्योग को भी बढ़े हुए शुल्कों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अमेरिका इसका सबसे बड़ा खरीदार है। इंडियन लेदर प्रोडक्ट्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद अजार ने कहा कि कोलकाता के पास बंटाला लेदर हब में ही पांच लाख लोग काम करते हैं। केवल भारत और ब्राजील में ही 50 प्रतिशत टैरिफ है, जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में यह दर काफी कम यानी 19 से 20 प्रतिशत है। इससे अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 27, 2025, 12:27 IST
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