UP: ठंडे बस्ते में गई प्रदेश में राजकीय संस्कृत विद्यालय की योजना, दो संस्थान खुलने के बाद नहीं खुल सका तीसरा
प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तर पर कवायद हो रही है। एक तरफ संस्कृत विद्यालयों के सभी छात्रों को छात्रवृत्ति देने का निर्णय हुआ है। वहीं, नए डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किए गए हैं। इसी क्रम में पिछले दो साल से 15 नए राजकीय संस्कृत विद्यालयों को खोलने की कवायद चल रही थी। पर, यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। इससे प्रदेश में राजकीय संस्कृत विद्यालयों की संख्या दो से तीन नहीं हो सकी। प्रदेश में अभी मात्र दो राजकीय संस्कृत विद्यालय चंदौली और भदोही में चल रहे हैं। सरकार ने विद्यार्थियों को सस्ती और सुलभ संस्कृत शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से 10 सामान्य व पांच आवासीय राजकीय संस्कृत विद्यालय और प्रस्तावित किए थे। यहां कक्षा छह से 12 (प्रथमा से उत्तर मध्यमा) तक की पढ़ाई होनी थी। इसमें कई विद्यालयों के लिए जिलों में जमीन चिह्नित कर निर्माण की डिजाइन और बजट भी शासन ने स्वीकृत कर दी थी। लेकिन अचानक इस योजना पर ब्रेक लग गया है। यह स्थिति तब है जबकि संस्कृत विद्यालयों में शुरू किए गए डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को लेकर युवाओं में काफी रुचि है और कॉलेज भी आगे आ रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा कि फिलहाल इस योजना को रोका गया है। सरकार कुछ और बेहतर करने के विकल्प पर काम कर रही है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 09, 2025, 06:26 IST
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