प्रिंटिंग प्रेस की आड़ में आतंक का प्रचार: 11 करोड़ का फंड, घुसपैठियों को पनाह; ग्रेटर नोएडा में टेरर फंडिंग क

औद्योगिक सेक्टर साइट-5 की कंपनी में जिन भड़काऊ सामग्री वाली किताबों का प्रकाशन हो रहा था, उन पर हकीकत किताबेवी प्रकाशन और हुसैन हिल्मी इशिक लिखा हुआ है। हुसैन हिल्मी इशिक तुर्किये के इस्लामी विद्वान थे, जबकि हकीकत किताबेवी प्रकाशन का नाम प्रिंटिंग प्रेस का है। जांच में पता चला है कि कंपनी के अंदर के माहौल ऐसा है, जैसे वहां पर कंपनी की आड़ में अवैध गतिविधियां चलाई जा रही थीं। इसके साक्ष्य भी मिले हैं। कंपनी भी तीन लोगों के नाम पर है। इनमें फरहान, उसका भाई और एक तुर्किये का निवासी हैं। यूपी एसटीएस ने शनिवार को ग्रेटर नोएडा के औद्योगिक साइट-5 स्थित कंपनी से फरहान नबी सिद्दीकीको टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। एक बिल्डिंग के अंदर इस्तांबुल इंटरनेशनल प्रा. लि. और हकीकत प्रिंटिंग पब्लिकेशन के नाम से कंपनी चल रही थी। आरोप है कि वो अपने साथियों के साथ मिलकर धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने के लिए विदेशों से 11 करोड़ का फंड जुटाने और बंग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह देने का काम कर रहे थे। साथ ही कंपनी में भड़काऊ सामग्री वाली किताबों का प्रकाशन किया जा रहा था। कंपनी के अंदर बड़ी संख्या में किताबें रखी है। प्रिंटिंग प्रेस भी लगी है। किताबों पर हुसैन हिल्मी इशिक लिखा है। साथ ही हकीकत किताबेवी प्रकाशन के नाम से छापी जा रही है। किताबों का प्रकाशन उर्दू और अंग्रेजी में किया गया है। हालांकि मौके की स्थिति से पता चल रहा है कि कंपनी में बड़ी मात्रा में किताबों का प्रकाशन नहीं हो रहा था।लेकिन वहां के हालात से लग रहा है कि कंपनी की आड़ में वहां पर अवैध गतिविधियां हो रही थी। पुलिस पूछताछ में वहां काम करने वाले लोगों ने पहले आरओ दिल्ली नंबर की तीन गाड़ियों भी खड़ी है। फाउंडेशन से जुड़े अहमत, महमत व फैजान की तलाश धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने के लिए भड़काऊ किताबों को प्रकाशित कर वितरित करने और मस्जिद-मदरसे बनाने के लिए विदेश से फंडिंग जुटाने वाले दिल्ली निवासी फरहान और उसके साथियों ने कई मुखौटा कंपनियां बनाई थीं। स्वास्थ्य, सोशल सर्विस आदि के कारोबार के फर्जी चेहरे वाली उनकी कंपनियों का असली काम देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करना था। फरहान की गिरफ्तारी के बाद उसके बाकी साथियों नासी तोर्खा, अहमत तोर्बा, महमत कुपेली और फैजान नबी की तलाश एटीएस ने तेज कर दी है। बता दें कि एटीएस की जांच में सामने आया है कि हकीकत वाकफी फाउंडेशन और अन्य मुखौटा कंपनियों के जरिये ये सभी किसी बड़ी साजिश का ताना-बाना बुन रहे थे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 10, 2025, 09:42 IST
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