Union Budget 2023: वित्तमंत्री से मध्य वर्ग को उम्मीद, राजस्व वसूली से सरकार की तिजोरी भरी

राजस्व वसूली के लिहाज से यह वित्त वर्ष सरकार की बांछें खिला देने वाला है। उसकी तिजोरी कुछ ज्यादा ही भर गई है। पिछले कुछ वर्षों में जो नहीं हो पाया, वह इस बार हुआ। देश के आर्थिक हालात इतने अच्छे हैं कि आने वाले समय में उसकी जेब भरी ही रहेगी। कोरोना के कहर से देश के बाहर निकल जाने के बाद अर्थव्यवस्था में आशातीत तेजी आई, जो टैक्स वसूली मेंसाफ परिलक्षित हो रही है। इससे मध्य वर्ग के लोग खासकर नौकरी पेशा वर्ग में काफी उम्मीदें जग गई हैं। यह वही वर्ग है, जिसकी खपत करने की ताकत से मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री होया सर्विस सेक्टर, दौड़ते हैं। जबकि हालत यह है कि देश में बेरोजगारी बढ़ी ही है, घटी नहीं है। महंगाई ने भी मध्य वर्ग को परेशान किया, लेकिन उसने खर्च करने की अपनी आदत बरकराररखी, जिससे अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला। यह वर्ग महत्वाकांक्षी है और सपने देखता ही नहीं है, बल्कि उसे पूरा करने के लिए पैसे भी खरचता है। ऐसे में मध्य वर्ग इस बार वित्तमंत्री से काफी कुछ चाह रहा है और सच तो यह है कि उनके पास देने को काफी कुछ है। प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में 10 जनवरी, 2023 तक कुल प्रत्यक्ष कर वसूली 14.71 लाख रुपये हुई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 24.58 फीसदी ज्यादा है। रिफंड वगैरह देने के बाद यह राशि 12.31 लाख रुपये है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19.55 फीसदी ज्यादा है और यह बजट में प्रत्यक्ष कर वसूली के अनुमानों का 86.68 फीसदी है। यानी सरकारी खजाना अनुमान से ज्यादा भरेगा। दूसरी ओर परोक्ष कर यानी अप्रत्यक्ष कर में भी अब तक 24 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि कॉरपोरेट टैक्स में भी आशातीत बढ़ोतरी हुई है और कुल प्राप्ति 6.35 लाख करोड़ रुपये रही है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, भारत में टैक्स वसूली पिछले बारह वर्षों से लगातार बढ़ती जा रही है। एक सर्वे के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में सरकार को 1.7 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। इतना ही नहीं, विनिवेश से भी सरकार को कम से कम 64,000 करोड़ रुपये की आय होगी। यह वित्तमंत्री के लिए खुशनुमा स्थिति है और हालात ऐसे हैं कि उनके पास काफी विकल्प हैं। इस बार की वसूली से अर्थशास्त्रियों और मध्य वर्ग में एक उम्मीद जगी है कि वित्तमंत्री कई तरह की राहत देंगी। 2023-24 का यह बजट लोकसभा चुनाव के पहले का पूर्ण बजट होगा। जाहिर है कि मोदी सरकार चाहेगी कि कई सारी ऐसी घोषणाएं इसमें हों, जो लोक लुभावन ही नहीं, वोट खींचने वाली हों। सच तो यह है कि यह देश वोट की राजनीति पर चलता है और यहां ज्यादातर उसी तरह के कदम उठाए जाते हैं, जिनसे वोट मिलें। यह बात इस बार भी सच होती दिखेगी, ऐसा विश्लेषकों का मानना है। ऐसा मौका वित्तमंत्री को फिर नहीं मिलेगा। आइए देखें, वित्तमंत्री क्या कर सकती हैं। सबसे पहले तो वह व्यक्तिगत आयकर के स्लैब को बदल सकती हैं। इस समय देश में आयकर रिटर्न भरने के दो विकल्प हैं। लेकिन जो नया विकल्प वित्तमंत्री ने पेश किया था, वह उतना सफल नहीं हुआ और अब उसे सुधारने या यों कहें कि व्यावहारिक बनाने की जरूरत है। दूसरी बड़ी बात यह हो सकती है कि सरकार इस बार आयकर की न्यूनतम सीमा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर सीधे पांच लाख रुपये कर दे। एक बड़ी राहत यह हो सकती है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाई जा सकती है। हालांकि इस समय महंगाई की दर कम हो गई है, लेकिन पिछले महीनों में यह सीमा से ज्यादा हो गईथी। इस समय भी आटे और दाल की कीमतें काफी हैं और यह कम आय के नौकरीपेशा लोगों के लिए कष्टदायक है। यह देखते हुए कि रुपये की क्रय शक्ति घटी है और लोग बचत कम कर रहे हैं, जो सरकार के लिए अच्छा नहीं है, वित्तमंत्री लघु बचत पर ब्याज बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं। इस बार वित्तमंत्री सीनियर सिटीजन्स के लिए मेडिकिल इंश्योरेंस में लगे भारी-भरकम जीएसटी को घटाने पर भी विचार करें। पिछले दिनों सीतारमण ने मध्य वर्ग के लिए ढेर सारी सहानुभूति जताई और अपने को भी उसी वर्ग का बताया। लेकिन सिर्फ इससे तो काम नहींचलेगा, उन्हें अपनी तिजोरी खोलनी ही पड़ेगी। इसमें ही सभी का कल्याण है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 24, 2023, 01:55 IST
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