Hindi Geet: उमाकांत मालवीय की रचना- कभी कभी बहुत भला लगता है
कभी-कभी बहुत भला लगता है — चुप-चुप सब कूछ सुनना और कुछ न बोलना । कमरे की छत को इकटक पड़े निहारना यादों पर जमी धूल को महज़ बुहारना कभी-कभी बहुत भला लगता है — केवल सपने बुनना और कुछ न बोलना । दीवारों के उखड़े प्लास्टर को घूरना पहर-पहर सँवराती धूप को बिसूरना कभी-कभी बहुत भला लगता है — हरे बाँस का घुनना और कुछ न बोलना । काग़ज़ पर बेमानी सतरों का खींचना बिना मूल नभ छूती अमरबेल सींचना कभी-कभी बहुत भला लगता है केवल कलियाँ चुनना और कुछ न बोलना । अपने अन्दर के अन्धियारे में हेरना खोई कोई उजली रेखा को टेरना कभी-कभी बहुत भला लगता है गुम-सुम सब कुछ गुनना और कुछ न बोलना । हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 10, 2025, 19:09 IST
Hindi Geet: उमाकांत मालवीय की रचना- कभी कभी बहुत भला लगता है #Kavya #Kavita #UmakantMalviya #Navgeet #SubahSamachar
