BBC Documentary: PM मोदी पर बनी BBC की डाक्यूमेंट्री पर विवाद तेज, ब्रिटेन में की गई स्वतंत्र जांच की मांग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का विवाद बढ़ता जा रहा है। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसके अलावा, ब्रिटेन में भी इस डॉक्यूमेंट्री का मुद्दा वहां की संसद में भी उठा। जिसके बाद पाकिस्तानी मूल के सांसद द्वारा यहां मुद्दा उठाए जाने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी प्रतिक्रिया दी थी। अब ब्रिटेन में एक ऑनलाइन मांग पत्र के जरिए इस सीरीज को लेकर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) द्वारा अपने कर्तव्यों के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। यह मांग वेबसाइट Change.Org पर की जा रही है। इसमें कहा गया है कि बीबीसी 'संपादकीय निष्पक्षता के उच्चतम मानकों' को पूरा करने में विफल रहा है। इसे लेकर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) की कड़ी निंदा भी की गई है। इसके अलावा बीबीसी में इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। रविवार की रात को इंटरनेट पर इसे प्रसारित करने के बाद से अब तक इस पर 2500 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर भी किए हैं। इसमें कहा गया है कि 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' गलत प्रचार पत्रकारिता का उदाहरण है। ये सीरीज जानबूझकर अपने दर्शकों को गलत सूचना देती है। हम बीबीसी बोर्ड से एक सार्वजनिक सेवा प्रसारक के रूप में अपने कर्तव्यों के इस गंभीर उल्लंघन की एक स्वतंत्र जांच करने और निष्कर्षों को पूर्ण रूप से प्रकाशित करने का आह्वान करते हैं। मांग पत्रमें दावा किया गया है कि यह सीरीज एजेंडा संचालित रिपोर्टिंग और संस्थागत पूर्वाग्रह का उदाहरण है। साथ ही अब विश्व स्तर पर यह बीबीसी की विशेषता बन गई है। ब्रिटिश भारतीय हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक लॉर्ड रामी रेंजर ने इस सीरीज को लेकर लिखा है कि 'बीबीसी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के दो बार लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री के खिलाफ एक झूठी कहानी बना रहा है। इसके अलावा पीएम मोदी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किया गया था। डॉक्यूमेंट्री में क्या है, जिस पर विवाद हो रहा है ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी ने India: The Modi Question शीर्षक से दो पार्ट में एक नई सीरीज बनाई है। इसका पहला पार्ट मगंलवार को जारी किया गया है। इस सीरीज में पीएम मोदी के शुरुआती दौर के राजनीतिक सफर पर बातें की गईं हैं। वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ उनके जुड़ाव, भाजपा में बढ़ते कद और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति की चर्चा भी इसमें की गई है। मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात में हुए दंगों का भी इसमें जिक्र है। इस हिस्से में गुजरात दंगों में पीएम मोदी की कथित भूमिका की बात कही गई है। इसी को लेकर विवाद हो रहा है। विवाद कहां से शुरू हुआ 17 जनवरी को इसे बीबीसी टू पर रिलीज किया गया था। सीरीज के आते ही विवाद शुरू हो गया। ब्रिटेन में सोशल मीडिया पर इसका विरोध शुरू हुआ। इसको लेकर लोगों ने आपत्ति जताई और कहा कि बीबीसी को 1943 के बंगाल अकाल पर भी सीरीज बनानी चाहिए। जिसमें 30 लाख से ज्यादा लोगों की भुखमरी और बीमारी के कारण मौत हो गई थी। एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि बीबीसी को यूकेः द चर्चिल क्वेश्चन शीर्षक से भी सीरीज बनानी चाहिए। विवाद बढ़ता देख एक दिन बाद ही बुधवार को बीबीसी ने सीरीज को यूट्यूब से हटा दिया। यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने भी दर्ज कराई आपत्ति यूनाइटेड हिंदू फ्रंट नाम के संगठन ने भी गुरुवार को बीबीसी की कड़ी भर्त्सना की थी। फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने कहा कि बीबीसी जानती है कि अगर उसे विश्व भर में चर्चा में आना है, तो उसे मोदी के ही नाम का सहारा लेना होगा। बाकी जो भी कुछ दुष्प्रचार करने की कोशिश वह कर रही है, वह उस बीबीसी की साम्राज्यवादी सोच का प्रतिबिंब है, जिसके खुद अपने देश से पैर उखड़ते जा रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 23, 2023, 15:53 IST
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