Udhampur News: साधना से जुड़े इंसान, तभी होगा उद्धार

उधमपुर। साधना और प्रभु भक्ति से जुड़कर ही जीवन का उद्धार हो सकता है। मनुष्य जीवन के असली उद्देश्य से भटककर बार-बार विभिन्न योनियों में जन्म लेकर भटकता रहता है। यह ज्ञान संत सुभाष शास्त्री ने अखंड परम धाम आश्रम शिव रैंहम्बल चक में सत्संग के दौरान भक्तों को बांटा। इस दो दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में बुधवार को कथावाचक ने कहा कि आसक्ति (परिवार से लगाव) के कारण इंसान साधना नहीं कर पाता। आमतौर पर जब हम एक-दूसरे से बातचीत करते हैं तो हम यही कहते हैं कि फलां काम के लिए अभी समय नहीं है। हर दिन में 24 घंटे होते हैं, किसी के लिए कम या ज्यादा नहीं, लेकिन कुछ लोग इसका सदुपयोग कर लेते हैं और कुछ को यही शिकायत रहती है कि समय नहीं है। उन्होंने कहा कि संत कबीर दास को प्रतिदिन सैर करते समय एक व्यक्ति अपने खेत में बैठा दिखाई देता था। एक दिन कबीर दास ने रुककर पूछा कि तुम बिना किसी काम के यहां बैठे रहते हो, तुम्हारे पास काफी समय है, इसलिए अपनी उन्नति के लिए कुछ साधना किया करो। व्यक्ति ने जवाब दिया कि मेरे बच्चे छोटे हैं, जब वे बड़े हो जाएंगे तो इस पर विचार करूंगा। कई वर्षों बाद संत कबीर ने उस व्यक्ति से फिर पूछा क्या अब तुम्हारे पास खुद के लिए समय है, उत्तर मिला अभी तो बच्चों का विवाह करना है। कुछ समय बाद कबीर दास ने फिर मिलने पर उस व्यक्ति से कहा कि तुम बहुत भाग्यशाली हो, अब तो बच्चों के भी बच्चे हो गए, अब तो अपने लिए समय होगा। उसने कहा, कहां है समय, अभी तो मुझे नाती-पोतों के विवाह भी तो करवाने हैं। कुछ समय बाद संत को वह व्यक्ति खेत में नहीं मिला, उसके घर गए तो पता चला कि वह मर गया है। इस पर कबीर दास ने अपने आंतरिक ज्ञान द्वारा पता किया, तो देखा कि एक गाय के बछड़े के रूप में उस व्यक्ति ने उसी घर में जन्म लिया है, जिसका कारण था आसक्ति। वह परिवार से अत्यधिक लगाव के कारण साधना नहीं कर सका और दोष देता रहा समय को।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 04, 2023, 23:46 IST
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