म्यामार से लौटे बंधकों की कहानी: सिखाए थे नकली डिजिटल अरेस्ट के तरीके, घर जाने की बात पर लगाते थे करंट
म्यांमार से भारत लाए गए लोगों को आईटी क्षेत्र में ही नौकरी देने के बहाने म्यांमार बुलाया गया था। इसके लिए साइबर अपराधियों की एक एजेंसी काम करती है। एजेंसी म्यांमार में साइबर सिक्योरिटी आफिसर, डाटा विश्लेषक, एआई एक्सपर्ट जैसे पद बताकर नौकरी के लिए बुलाती है। वहां पहुंचते ही बंधक बना लिया जाता है। सबसे पहले दस्तावेज छीन लिए जाते हैं। इसके बाद साइबर अपराध कराया जाता है। जो मना करे, उसे भूखा-प्यासा रखा जाता है। राजी होने तक यातनाएं दी जाती हैं। परिवार से भी बात नहीं करने देते थे। कुछ लोगों ने किसी तरह इसकी शिकायत भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से की। इसके बाद इन्हें बंधन मुक्त कराकर वतन वापसी कराने का आपरेशन शुरू हुआ। बैंकाक से सड़क मार्ग के जरिए पहुंचे म्यांमार पूछताछ में बताया कि ठगों ने सभी को पहले बैंकाक बुलाया। वहां से सड़क मार्ग से म्यांमार के बॉर्डर ले जाया गया। रास्ते में गाड़ियां बदल ली जाती थीं। म्यांमार पहुंचने से पहले पड़ने वाली नदी नाव के सहारे पार कराई जाती थी। होली पर घर लौटने की सौगात लखनऊ पहुंचे 21 लोगों ने भारत सरकार और पुलिस का आभार जताया है। होली पर सभी अपने घर पर होंगे। पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि नौकरी के झांसे में आकर वे म्यामांर गए थे, लेकिन साइबर ठगों के जाल में फंस गए। ठग उन्हें प्रताड़ित करते थे। ठगी करने पर वह उन्हें अपने हिसाब से पैसे देते थे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Mar 12, 2025, 07:24 IST
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