तिल छूने या खिचड़ी खाने से आज निषेध नहीं: रविवार को मकर संक्रांति होने के कारण संशय, मगर इसकी जरूरत नहीं

बिहार में मकर संक्रांति का मतलब, गंगा नहान और दही-चूड़ा-तिलवा है। इस बार रविवार को मकर संक्रांति होने के कारण लोग तिल छूने-खाने को लेकर सवाल कर रहे हैं। खिचड़ी को लेकर भी सवाल है। नहाने पर भी भीषण ठंड ने काफी हद तक रोक लगा दी है, वरना एक दिन पहले से पटना के गंगा घाटों के साथ बेगूसराय के सिमरिया और भागलपुर के सुल्तानगंज में भारी भीड़ जुट जाती थी। लेकिन, रविवार को दृश्य बदल जाएगा। तीनों ही जगह पर भारी भीड़ उमड़ने के अनुमान के साथ प्रशासन की तैयारी है। इधर, कर्मकांड विशेषज्ञों ने एकमत से यह राय दी है कि रविवार होने के कारण तिल छूने-खाने पर निषेध नहीं रहेगा। कारण समेत जानें सबसे बड़े सवाल का जवाब आमतौर पर शनिवार को लोग खिचड़ी खाते हैं और मान्यता है कि इससे शनि का प्रकोप घटता है। रविवार को बच भी जाए तो नहीं खाते हैं। रविवार को तिल छूना भी हिंदू धर्म के अनुसार गलत माना जाता है। लेकिन, कर्मकांड विशेषज्ञों की मानें तो मकर संक्रांति में यह लागू नहीं होगा। कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित शशिकांत मिश्र के अनुसार, मकर संक्रांति को बिहार की देसज भाषा में तिला-संकरात कहा जाता है। सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश कर इस दिन से उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य भगवान की आराधना में तिल का अत्यंत महत्व है। इसलिए, मकर संक्रांति चाहे किसी भी दिन हो, सूर्य भगवान के नाम पर तिल, गुड़ और चावल जरूर चढ़ेगा। चढ़ेगा भी प्रसाद भी लोग खाएंगे। मतलब, तिल छूने का निषेण मकर संक्रांति में लागू नहीं होगा। रविवार भी सूर्य भगवान का दिन है और मान्यता है कि इस दिन विशेष अवसर पर ही तिल छूना है। मकर संक्रांति में तिल चढ़ाने से सूर्य भगवान खुश होंगे। इसके साथ ही इस अवसर पर खिचड़ी खाने से सूर्य पुत्र शनि भी खुश होंगे। ज्योतिष विशेषज्ञ पंडित अवनीश ठाकुर भी कहते हैं कि पर्व-त्योहार साल में एक बार होते हैं और जिस दिन यह हों, वह दिन खुद ही शुभ हो जाता है। इसके साथ ही तमाम तरह की बंदिशें उस पर्व के हिसाब से होती हैं। मकर संक्रांति पर तिल-चावल-गुड़ खाना या खिचड़ी खाना ही परंपरा है, इसलिए दिन देखना शास्त्रानुसार निरर्थक है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 14, 2023, 22:34 IST
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