Tonk: अन्नदाता हुंकार रैली से पहले ही घुटनों पर आई सरकार ? रामपाल जाट से हुई वार्ता, जानें क्या बनी सहमति?
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में जयपुर में आयोजित होने वाली अन्नदाता हुंकार रैली की तैयारियों को देखते हुए राजस्थान सरकार रैली से पहले ही घुटनों पर आती नजर आई। सरकार और किसान नेताओं के बीच आज जयपुर में संभागीय आयुक्त पुनम और अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ लगभग चार घंटे लंबी वार्ता हुई। इस दौरान टोंक जिले से जुड़ी आधा दर्जन मांगों और प्रदेश भर के किसानों से जुड़े कई मुद्दों पर सहमति बन गई। असल में, अन्नदाता हुंकार रैली 6 अक्टूबर को जयपुर शिप्रा पथ मानसरोवर में आयोजित होने वाली थी। उससे तीन दिन पहले ही सरकार ने वार्ता के लिए किसान नेता रामपाल जाट को राजस्थान पदाधिकारियों के साथ बैठक के लिए बीजू जॉर्ज, पुलिस कमिश्नर जयपुर के माध्यम से आमंत्रित किया। पिछले तीन महीनों से राजस्थान भर में किसान महापंचायत पदाधिकारी तैयारियों और पुलिस गुप्त रिपोर्ट के आधार पर पिछले दो दिनों से रामपाल जाट को सरकार की ओर से वार्ता का आमंत्रण मिलने की चर्चाएँ चल रही थीं। इसके बाद किसान महापंचायत प्रतिनिधियों ने मुख्य सचिव सुधांशु पंथ से वार्ता की सहमति दी। मुख्य सचिव के विदेशी दौरे से लौटने के उपरांत 6 अक्टूबर 2025 को वार्ता का दूसरा दौर होगा। सरकार का प्रतिनिधित्व इस बैठक में संभागीय आयुक्त पुनम (आईएएस), आयुक्त जयपुर, अतिरिक्त जिला कलेक्टर जयपुर प्रथम, कृषि विपणन विभाग, कृषि विभाग, जल संसाधन विभाग, सहकारिता विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी कर रहे थे। किसानों की ओर से प्रतिनिधित्व में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घासीराम फगोडिया, प्रदेशाध्यक्ष मुसद्दीलाल यादव, युवा प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी, प्रदेश महामंत्री सुन्दर लाल, जगदीश नारायण खुडियाला, प्रदेश प्रवक्ता सुरेश बिजारणियां, जिला अध्यक्ष अजमेर प्रहलाद खुरड़िया, खेरथल तिजारा जिला अध्यक्ष विरेन्द्र चौधरी, दूदू जिला अध्यक्ष बलदेव महरिया, उपाध्यक्ष सीताराम खादवाल, तहसील अध्यक्ष निवाई दशरथ सिंह चौहान, तहसील महामंत्री नवल सिंह राजावत शामिल थे। किसानों एवं प्रशासन के मध्य बनी सहमति राजस्थान भर में बेसहारा पशुओं से खेत खतरे में हैं। निवाई तहसील से सुअरों का उठाव किया जाएगा और गौ वंश के लिए अभ्यारण्य का निर्माण बनेठा-ककोड़ की 10,000 बीघा जमीन पर होगा। बिसलपुर या ईसरदा बांध से निवाई क्षेत्र को नहर तंत्र से जोड़ा जाएगा। भूमि अवाप्ति कानून में परिवर्तन करते हुए ईसरदा बांध विस्थापितों को 5 लाख के स्थान पर 20 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा। बिसलपुर बांध विस्थापितों को अवार्ड की समयावधि 2017 से बढ़ाकर 2027 की जाएगी। स्थापित परिवारों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाएंगी। सल बीमा में क्रॉप कटिंग का आंकलन सार्वजनिक किया जाएगा और राजस्व विभाग का डाटा बैंक से साझा किया जाएगा ताकि आंकलन समान हो। दूनी राजस्व सेटलमेंट रद्द किया जाएगा। अप्रैल-मई में बिसलपुर और गलवा बांधों की नहरों की सफाई सुनिश्चित की जाएगी। वर्ष नगरफोर्ट व उनियारा 2023-24 का मुआवजा आपदा राहत कोष से दिया जाएगा और 2024-25 का फसल मुआवजा तैयार कर वितरण किया जाएगा। राजस्थान स्तर पर मांगे न्यूनतम समर्थन मूल्य को गारंटी कानून बनाया जाए। छोटे-छोटे बांधों में पेयजल के लिए पानी आरक्षित न रखा जाए। प्रत्येक ग्राम सेवा सहकारी समिति को खरीद केंद्र बनाया जाए। वर्ष 2017 से पहले की तर्ज पर राजफैड से ऊर्वरक वितरण कराया जाए ताकि टैगिंग की समस्या समाप्त हो। संभागीय आयुक्त ने कहा कि इन बिंदुओं के साथ अन्य जिलों के मुद्दों को सरकार तक सकारात्मक रूप से पहुँचाया जाएगा। उच्च मंत्री मंडल स्तरीय बैठक जल्द तय की जाएगी। इसके चलते 6 अक्टूबर को अन्नदाता हुंकार रैली को कुछ समय के लिए स्थगित किया गया। राजस्थान भर के किसानों के समक्ष यह फैसला लिया गया। आने वाले समय में रैली को मजबूती प्रदान करने के लिए टोंक जिले की 235 ग्राम पंचायतों में अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी और प्रत्येक ग्राम इकाई का गठन किया जाएगा, जिससे किसानों की ताकत बनी रहेगी। वार्ता सुबह 12:00 बजे से 3:45 बजे तक चली, जिसमें किसान प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्रीय मुद्दे सरकार के समक्ष रखे और सरकार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 04, 2025, 11:58 IST
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