Hapur News: आज छोटी दिवाली, कल रोशनी का पर्व

हापुड़। धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। आज नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और कल रोशनी का पर्व दिवाली मनाई जाएगी। दिवाली पर स्थिर लग्न, लाभ चौघड़िया, अमृत चौघड़िया, स्थिर वृष लग्न में पूजन किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि 20 अक्तूबर को अमावस्या दोपहर 3:45 बजे से आरंभ होकर 21 अक्तूबर को शाम 5:54 बजे तक रहेगी। निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु, व्रत पारिजात और अन्य पुराणों के मत से दिवाली के लिए कार्तिक कृष्ण अमावस्या प्रदोष कालीन ही ग्राह्य है। अमावस्या तिथि 20 अक्तूबर को दोपहर 3:45 बजे से आरंभ होकर 21 अक्तूबर को शाम 5:54 बजे तक ही रहेगी।सूर्यास्त शाम 5.40 बजे होगा अर्थात 21 अक्तूबर को मात्र 14 मिनट ही प्रदोष में अमावस्या प्राप्त हो रहा है। मां महालक्ष्मी की उपासना के लिए दिवाली जैसा कोई अन्य दिन नहीं हो सकता। दिवाली के दिन की गई पूजा, अनुष्ठान यज्ञ आदि लौकिक पारलौकिक ऐश्वर्य हर प्रकार का सुख प्रदान करने वाला होता है। स्थिर लग्न, लाभ चौघड़िया, अमृत चौघड़िया, स्थिर वृष लग्न में दिवाली पूजन होगा। इसके साथ ही दिवाली पर भद्रा, ग्रहण, संक्रांति, कुयोग आदि न होने से संध्या बेला से रात्रि तक दिवाली पर्व मनाया जाएगा।महालक्ष्मी पूजा विधिज्योतिषाचार्य पंडित संतोष तिवारी व पंडित सतीश पोखरियाल ने बताया कि भारतीय देसी गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास बताया गया है, इसलिए गोबर, गोमूत्र से पूजा स्थल कलश के नीचे लीप कर उसके ऊपर सतनजा रखें और उसके ऊपर रात्रि पर्यंत अखंड तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें, जो सुबह छह बजे तक जलते रहें। दीपक को लक्ष्मी स्वरूप मानकर उसका पूजन करें। ब्राह्मण के द्वारा श्री महालक्ष्मी जी का विधिवत पूजन करवाएं।चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और एक बड़े कटोरे या थाली में चांदी या धातु निर्मित गणेश लक्ष्मी कुबेर व अन्य विग्रह को श्री यंत्र कुबेर यंत्र गणपति यंत्र को स्थापित कर उनका पंचामृत से क्रम पूर्वक स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर चौकी पर स्थापित कर वस्त्र माला आदि से अलंकृत करें। रोली चंदन अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य फल दान दक्षिणा इत्यादि के द्वारा क्रम पूर्वक गणपति लक्ष्मी जी का पूजन करें। प्रतिष्ठान मुहूर्त-स्थिर लग्न, लाभ चौघड़िया दोपहर 3:45 बजे से 4:05 बजे तकअमृत चौघड़िया शाम 4:21 बजे से 5:40 बजे तकमेष लग्न चर चौघड़िया चलित व्यापार के लिएशाम 5:44 बजे से 7:05 बजे तकघर का पूजन-प्रदोष काल शाम 07:05 बजे से 08:15 बजे तकस्थिर वृष लग्न रात्रि 7:05 बजे से 9:01 बजे तकनिशीथ काल पूजा मुहूर्त-सिंह लग्न, स्थिर लग्न में दोपहर 1:35 बजे से 3:53 बजे तक

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 18, 2025, 21:54 IST
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