Sidhi News: संजय टाइगर रिजर्व में बिजली के तार से बाघ की मौत, वन विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर
सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व में एक और बाघ की मौत ने वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। 19 अगस्त की आधी रात को दुबरी परिक्षेत्र की खरबर बीट के कक्ष क्रमांक 509 में नर बाघ टी-43 का शव बरामद हुआ। विभाग की आधिकारिक जानकारी के अनुसार बाघ बिजली के उस तार में फंस गया था, जिसे ग्रामीणों ने फसल बचाने के लिए खेतों के चारों ओर बिछाया था। हालांकि, सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार वन विभाग की गश्त और निगरानी व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों रही कि रिजर्व के दायरे में ही इस तरह की खतरनाक स्थिति निर्मित हो गई। वन विभाग का कहना है कि मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया। तीन डॉक्टरों की टीम ने बाघ का पोस्टमार्टम किया और फॉरेंसिक जांच के लिए विसरा सुरक्षित किया गया। बाद में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रोटोकॉल के तहत बाघ के शव को जलाकर नष्ट कर दिया गया। लेकिन संरक्षण विशेषज्ञों का मानना है कि केवल औपचारिक कार्रवाई करने से जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती। असल मुद्दा यह है कि टाइगर रिजर्व में किसानों द्वारा बार-बार बिजली के तार बिछाए जाने की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए। ये भी पढ़ें-अर्चना का नेपाल कनेक्शन, कौन था इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड कैसे-कहां रचा था ये खतरनाक प्लान स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो फसल चौपट होने से बचाने के लिए वे मजबूरी में इस तरह की व्यवस्था करते हैं। मगर वन विभाग का यह तर्क भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि यदि किसानों की समस्या वाजिब है तो उसका समाधान खोजने की जिम्मेदारी भी वन विभाग और जिला प्रशासन की ही बनती है। बार-बार ऐसी घटनाओं के बावजूद विभाग की ओर से कोई सख्त और स्थायी समाधान नहीं किया गया। नतीजा यह है कि एक के बाद एक बाघों की जानें चली जा रही हैं। वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है, लेकिन आमतौर पर इन मामलों का नतीजा सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रह जाता है। बाघ के सभी अंग सुरक्षित पाए जाने का दावा कर विभाग ने तस्करी जैसी आशंका से पल्ला झाड़ लिया, लेकिन सवाल यह है कि आखिर बिजली का करंट लगने जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए वन विभाग कब तक आंख मूंदे रहेगा। ये भी पढ़ें-एक तरफा प्यार में पागल प्रेमी ने युवती को कार से रौंदकर दी खौफनाक मौत, मिलने नहीं आई तो लिया ऐसा बदला बाघ भारत की राष्ट्रीय धरोहर और संजय रिजर्व की पहचान हैं, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते उनकी जान पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। टी-43 की मौत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वन विभाग की निगरानी, गश्त और सुरक्षा व्यवस्था खोखली साबित हो रही है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में संजय रिजर्व की शान कहे जाने वाले बाघ केवल कागजों और रिपोर्टों में ही बचे रह जाएंगे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 20, 2025, 18:03 IST
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