UK NEWS: सीमा पर सन्नाटा, रिश्तों पर सवाल, नेपाल की आग ने ठंडा किया रिश्तों का गर्मजोश इलाका; जानें हाल

भारत और नेपाल शारदा बैराज पुल पर गहरी खामोशी पसरी है। नेपाल में हिंसक आंदोलन के पांचवे दिन यहां तनाव तो नहीं है लेकिन सन्नाटा आशंकाओं की हद तक है। अमर उजाला की टीम जब ब्रह्मदेव पोस्ट पहुंची तो वहां के हालात ने साफ कर दिया कि नेपाल में भड़की हिंसा का परोक्ष प्रभाव दबेपांव सीमा तक आ चुका है। दिल्ली से 350 किलोमीटर और काठमांडो से करीब 720 किलोमीटर दूर यह इलाका दोनों देशों की साैहाद्रपूर्ण खुली सीमा का जीवंत नमूना रहा है। यहां रोटी-बेटी के संबंध दोनों क्षेत्रों को परिवारों की तरह जोड़ते हें। न सिर्फ कारोबार एक-दूसरे से जुड़ा है बल्कि पारिवारिक रिश्ते भी प्रगाढ़ हैं। यही वजह है कि आवाजाही बंद होने का असर सीधे आम लोगों पर पड़ा है। एसएसबी अधिकारियों का कहना है कि हालात को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्र में कड़ी निगरानी की जा रही है। नेपाल के मटेना, तुगड़ानी, जिमुआ, तिलाचौड़, चूका और भारतीय क्षेत्र से लगे परी गांव, चेला, कूड़ा, तातापानी, कराली व मुसेटी के लोग आमतौर पर इलाज और खरीदारी के लिए टनकपुर आते हैं। अब उन पर भी रोक लगी हुई है। चार दिन पहले तक यहां की सरहद पर रोज चहल-पहल हुआ करती थी। खरीदारी के लिए भीड़, रिश्तेदारों के मिलने-जुलने का सिलसिला, मजदूरों की आवाजाही लेकिन अब गेटों पर ताले जड़े हैं और सिर्फ बंदूक थामे जवानों की पैनी नजरें हर आने-जाने वाले को रोक रही हैं। दूर-दूर तक सिर्फ सन्नाटा और चौकसी है। भारतीय इलाके में सीमा सुरक्षा बल की तीन चौकियों पर जवान लगातार गश्त कर रहे हैं। शारदा बैराज पुल के दोनों ओर लोहे के गेट बंद हैं। आखिरी चेक पोस्ट पर हथियारबंद जवान बारी-बारी से ड्यूटी संभालते हैं। उधर, नेपाल पुलिस की चेक पोस्ट भी पूरी तरह सतर्क है। कारोबार पर सीधा असर ब्रह्मदेव मंडी कंचनपुर जिले के अंतर्गत आता है। नेपाल क्षेत्र में स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां हिंसक आंदोलन का सीधा असर नहीं है अलबत्ता लोगों में गुस्सा जरूर है। नेपाल सरकार के खिलाफ पिछले दिनों यहां के व्यापारियों ने भी आंदोलन किया। दुकानों के शटर गिराए गए, नारेबाजी हुई और पुतले फूंके गए। लेकिन जैसे ही सीमाएं सील हुईं, मंडी पूरी तरह वीरान हो गई। यहां का ज्यादातर कारोबार भारतीय ग्राहकों पर ही निर्भर है। टनकपुर बाजार का भी रोजाना का पांच से सात लाख का कारोबार इन दिनों ठप है। इसी तरह ब्रह्मदेव मंडी के सौ से अधिक दुकानदारों का धंधा भी शून्य पर आ गया है। दोनों तरफ के अपनत्व के रिश्तों से जुड़ी इस सीमा पर अरसे बाद ऐसा सन्नाटा दिख रहा है। आंखों देखा हाल इस पार.. भारतीय इलाके में बच्चे साइकिल चलाते और खेलते दिखे। कुछ युवा दाैड़ का अभ्यास कर रहे थे। आम दिनों में लोगों की आवाजाही में मददगार टैक्सी बाइकें और ई-रिक्शा कतारों में खड़े दिखे। नो मैन्स लैंड शारदा नदी के किनारे नो मैन्स लैंड पर लगभग डेढ़ किलोमीटर का पक्का रास्ता है। इसके बगल में एक और पगडंडीनुमा रास्ता भी है। शारदा नदी इन दिनों उफान पर है। उसका गर्जन आसपास पसरे खामोश माहौल को और भी भयावह बना देता है। आम दिनों का भीड़-भाड़ वाला कहीं खो सा गया है। उस पारशारदा पार पहुंचने पर ब्रह्मदेव मंडी में बाजार बंद पड़ा मिला। वहां सिर्फ कुछ युवा नदी किनारे मौज-मस्ती करते और महिलाएं मवेशियों के साथ खड़ी नजर आईं। इनका कहना है सीमा पर आवाजाही बंद होने से टनकपुर का कारोबार सीधे प्रभावित है। दोनों तरफ के परिवारों के बीच गहरा रिश्ता है। हम चाहते हैं कि हालात जल्द सामान्य हों। -वैभव अग्रवाल, व्यापार मंडल अध्यक्ष, टनकपुर हमारी फुटकर बिक्री पूरी तरह बंद हो चुकी है। कपड़े से लेकर परचून तक का सामान अब नहीं जा रहा। -संजय पांडेय, व्यापारी नेता, टनकपुर ब्रह्मदेव मंडी के लोग भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ खड़े हैं। आंदोलन में यहां से भी आवाज उठी थी। उम्मीद है जल्द स्थिति संभलेगी। -यज्ञराज भट्ट, सचिव, बाजार व्यवस्थापन समिति, ब्रह्मदेव (नेपाल)

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 17, 2025, 11:16 IST
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