Balotra News: जिला स्तरीय मंच पर गूंजा सिणधरी में छात्राओं के उत्पीड़न का मामला, विभाग ने मानी अनियमितताएं
जिले में पिछले तीन दिनों से सिणधरी स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में छात्राओं के उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना का मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। रोती हुई छात्राओं के वीडियो सामने आने, छात्रावास के बाहर इकट्ठा होकर सहायता की गुहार लगाने तथा स्थानीय लोगों द्वारा इसकी सूचना प्रशासन तक पहुंचाने के बाद अब यह मामला जिला स्तरीय दिशा बैठक में भी जोरदार तरीके से उठा। बैठक में जनप्रतिनिधियों ने हालात को बेहद गंभीर बताते हुए प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल खड़े किए। बैठक के दौरान पंचायत समिति पांयला के प्रधान चुन्नीलाल माचरा ने कहा कि विद्यालय परिसर में लंबे समय से भय और तनाव का माहौल है। कार्यस्थल से इतर आते हुए शिक्षिका शांति डोम ने वहां इस कदर वर्चस्व जमा लिया है कि छात्राएं खुलकर बोलने से डरती हैं। उन्होंने अपने रिश्तेदारों को एक प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए हॉस्टल में पदस्थ किया गया और वही लोग छात्राओं पर अनावश्यक दबाव डालकर प्रताड़ित कर रहे हैं। प्रधान ने आरोप लगाया कि एफआईआर दर्ज कराने में भी अड़चनें डाली गईं। छात्राएं और स्थानीय लोग शिकायत लेकर पहुंचे पर पुलिस की शुरुआती प्रतिक्रिया संवेदनहीन रही। समय पर एफआईआर दर्ज न होने की वजह से बच्चियों का मनोबल और टूट गया। माचरा ने मांग की कि दर्ज हुए प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए इसे सिवाना सर्किल से बाहर किसी अन्य स्थान पर ट्रांसफर किया जाए, ताकि किसी बाहरी दखल का असर न पड़े और वास्तविक तथ्य सामने आ सकें। ये भी पढ़ें:Rajasthan:शादी की खुशियां बनीं मातम! शादी के दो दिन बाद DRDO ज्वाइंट डायरेक्टर की मौत, जानिए पूरा मामला विभाग ने स्वीकारी अनियमितताएं जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए कड़े सवालों और माहौल में बढ़ते तनाव के बीच जिला शिक्षाधिकारी देवाराम ने बैठक में अपना पक्ष रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षिका शांति डोम बिना कार्यक्षेत्र वहां पहुंचीं, जो नियमों के खिलाफ है। इस मामले में विभाग कार्रवाई करेगा। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उस प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से हॉस्टल में तैनात किए गए कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से हटा दिया गया है और छात्राओं के लिए सुरक्षित एवं सहज शैक्षणिक वातावरण सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं। बैठक के दौरान कुछ सदस्यों ने शिक्षिका शांति डोम के जाति प्रमाण पत्र को लेकर भी सवाल उठाए, जिसके बाद संबंधित दस्तावेज सदन में प्रस्तुत किए गए और उनकी जांच की मांग दर्ज की गई। बच्चियों की सुरक्षा पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगातार तीन दिन तक डरे-सहमे माहौल में रहने, रोते हुए बाहर आने और मदद की गुहार करने के बाद अब पूरा प्रकरण सामान्य प्रशासनिक लापरवाही से कहीं आगे निकल चुका है और बालिका शिक्षा की सुरक्षा व सम्मान पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहा है। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि छात्राएं 24 घंटे हॉस्टल में रहती हैं, इसलिए उनकी मानसिक और शारीरिक सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए लेकिन यदि उन्हें ही भय, दबाव और उत्पीड़न झेलना पड़े तो यह कस्तूरबा योजना की मूल भावना को आघात पहुंचाता है। ये भी पढ़ें:Rajasthan Politics:'अफसर अब उनकी बात नहीं सुनते' गजेंद्र सिंह शेखावत ने साधा डोटासरा पर निशाना दिशा बैठक में उठे मुद्दे ने प्रशासन को सक्रिय तो कर दिया है लेकिन जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी या नहीं यह आने वाले दिनों में साबित होगा। छात्राओं के बयान, स्टाफ की तैनाती से जुड़े दस्तावेज और स्थानीय पुलिस की शुरुआती भूमिका जांच का अहम हिस्सा बनेंगे। फिलहाल छात्राओं के मनोबल को पुनः मजबूत बनाने, उनके विश्वास को लौटाने और भयमुक्त वातावरण स्थापित करने की चुनौती सबसे बड़ी है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह केवल एक प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि कन्या शिक्षा और सुरक्षा की प्रतिष्ठा से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है और कार्रवाई में किसी भी तरह की ढील न्याय की राह को प्रभावित कर सकती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 28, 2025, 10:53 IST
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