तेजी से बदल रही दुनिया में गीता संदेश की सार्थकता और भी अधिक : सीपी राधाकृष्णन
कुरुक्षेत्र। तेजी से बदल रही दुनिया में पांच हजार साल से भी पहले भगवान श्रीकृष्ण की ओर से कुरुक्षेत्र की धरा पर दिया गए गीता का संदेश की सार्थकता और भी अधिक है। गीता की शास्वत प्रेरणा से हमें पूरी मानवता के कल्याण का संकल्प लेना चाहिए। यह आह्वान उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने किया। वे आज यहां अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अंतर्गत मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर में आयोजित अखिल भारतीय देव स्थानम सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे। उन्होंने अपना पूरा संबोधन अंग्रेजी में ही दिया, जिसे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की छात्रा ने हिंदी में अनुमोदित किया। सम्मेलन में मुख्यमंत्री नायब सैनी व देश के 64 देव स्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत का संकल्प लिया है और इसे पूरा करने की राह भी गीता संदेश से निकलती है। गीता हमें सिखाती है कि सफलता से अंहकारी नहीं होना चाहिए और असफलता से कमजोर नहीं पड़ना चाहिए। गीता हमें जीवन जीना सिखाती है और यह कुरुक्षेत्र व हरियाणा ही नहीं पूरी मानवता के लिए शास्वत है। हमें अपने सांस्कृतिक से लेकर व्यक्तिगत कर्तव्यों में भी गीता को धारण करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने उस समय व हालात का भी जिक्र किया जब महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के कुरुक्षेत्र की धरा पर गीता का अमर संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि एक तरफ कौरवों की सेना थी तो दूसरी और पांडव खड़े थे। कम संख्या में होने के बावजूद पांडवों की जीत हुई, जो अधर्म पर धर्म की जीत थी। भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के हालात के बीच यही सार्थक संदेश देना था, जिसकी आज के समय में भी वैसी ही जरूरत है। कार्यक्रम में राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजद रहे। भगवद गीता के मंत्रोच्चारण के बीच दीक्षांत समारोह का शैक्षणिक सेशन पंडाल में पहुंचा। संस्थान के निदेशक प्रो. बीवी रमना रेड्डी ने बताया कि 1963 में स्थापित एनआईटी कुरुक्षेत्र के पूर्व छात्र देश-प्रदेश में सेवाएं दे रहे हैं। संस्थान 15 स्नातक कार्यक्रम और 28 स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करता है।बॉक्सदेव स्थानों से ही लोगों को जीवन जीने की राहदेव स्थानम सम्मेलन में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि कोई भी देश अपनी संस्कृति के साथ ही आगे बढ़ सकता है। देव स्थानों से ही लोगों को जीवन जीने की राह मिलती है। ये स्थान हमारी संस्कृति के संवाहक है। इन्हीं स्थानों ने हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ाया है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में देव स्थानम सम्मेलन सांस्कृतिक यात्रा को और आगे बढ़ाने में कारगर साबित होगा। इस सम्मेलन से निकलने वाला संदेश पूरी दुनिया में जाएगा। कुरुक्षेत्र।एनआईटीकुरुक्षेत्रकेदीक्षांतसमारोहमेंछात्राकोउपाधिप्रदानकरतेहुएउपराष् कुरुक्षेत्र।एनआईटीकुरुक्षेत्रकेदीक्षांतसमारोहमेंछात्राकोउपाधिप्रदानकरतेहुएउपराष्
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 01, 2025, 03:26 IST
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