Champawat News: पूर्णागिरि धाम की सफाई के लिए श्रद्धालुओं से वसूलेंगे कर

पूर्णागिरि धाम (चंपावत)। मां पूर्णागिरि धाम आने वाले श्रद्धालुओं से इस बार के मेले में सफाई कर वसूलने की तैयारी की जा रही है। प्रशासन ने इसका प्रस्ताव बना लिया है। कर कितना होगा, प्रशासन इसे कैसे वसूलेगा पर 27 जनवरी को होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा। मां पूर्णागिरि धाम में होली के बाद मार्च में तीन महीने का सरकारी मेला लगता है। इसमें 30 लाख से अधिक श्रद्धालु देवी मां के दर्शन करते हैं। बूम से मुख्य मंदिर तक करीब 15 किलोमीटर का हिस्सा मेला क्षेत्र में शामिल होता है। जिला पंचायत की ओर से संचालित इस मेले में बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, सफाई सहित मेले के प्रबंध में हर साल डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं जबकि आमदनी काफी कम होती है। पार्किंग और बाल मुंडन ही आय के प्रमुख स्रोत हैं। वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं से भैरव मंदिर तक 150 रुपये प्रति वाहन पार्किंग शुल्क ही वसूला जाता है। संवादपूर्णागिरि धाम में श्रद्धालुओं को बेहतर सफाई देने के लिए सफाई कर का प्रस्ताव रखा गया है। सफाई कर एनजीओ के माध्यम से लिया जाएगा। शुल्क की रकम और शुल्क वसूलने के तरीकों सहित विभिन्न पहलुओं पर 27 जनवरी को टनकपुर में होने वाली पूर्णागिरि मेले संबंधी बैठक में सभी संबंधित पक्षों से परामर्श के बाद तय किया जाएगा।-नरेंद्र सिंह भंडारी, डीएम, चंपावत।पूर्णागिरि धाम में मेले के दौरान और मेले के बाद भी सफाई सहित सभी व्यवस्थाएं दी जाती हैं। इसमें प्रशासन और मंदिर समिति मिलकर काम करते हैं लेकिन श्रद्धालुओं से सफाई कर लेने के निर्णय से पहले इसके सभी पहलुओं पर विचार होना चाहिए। 27 जनवरी को होने वाली बैठक में समिति अपना पक्ष रखेगी। -पंडित किशन तिवारी, अध्यक्ष, मंदिर समिति। 2008 के बाद से मेला अनुदान भी नहीं मिलापूर्णागिरि धाम (चंपावत)। मां पूर्णागिरि धाम के सरकारी मेले के लिए लंबे समय से कोई सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है। मेले की आयोजक संस्था जिला पंचायत को हर साल आर्थिक झटका लगता है। पिछले तीन साल में ही 31 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। मेले में 2008 तक प्रदेश शासन से मेला अनुदान मिलता रहा है। तब आखिरी बार 15 लाख रुपये मिले थे लेकिन इसके बाद से कभी भी कोई अनुदान नहीं मिला। जिला पंचायत के एएमए भगवत पाटनी का कहना है कि अनुदान के लिए हर बार पत्र भेजा जाता है लेकिन अनुदान नहीं मिलने से मेले का संचालन चुनौती बनता है। संवाद

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 23:42 IST
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