तरनतारन उपचुनाव: 40 साल में सबसे कम मतदान, 2027 विधानसभा की तैयारी का टेस्ट

तरनतारन उपचुनाव के दौरान 40 साल बाद सबसे कम मतदान हुआ है। साल 1985 में 57.5 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। उसके बाद अब 2025 के उपचुनाव में शाम छह बजे तक मतदान प्रतिशत 60.95 रहा। यानी इस सीट पर मतदाताओं का उत्साह औसत ही रहा। उधर, चुनाव के बाद अब सभी दल गुना-गणित में जुट गए हैं। इस उपचुनाव में सभी के लिए जीत बहुत मायने रखेगी क्योंकि इस जीत को राजनीतिक पार्टियां फरवरी 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर अपना परफार्मेंस टेस्ट समझकर मैदान में उतरी हैं। यह जीत बताएगी कि साढ़े तीन साल में किस दल ने अपनी नींव को कितना मजबूत किया है। सबसे बड़ी प्रतिष्ठा का सवाल सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए होगा, क्योंकि आप को इस जीत से प्रदेश में यह संदेश देना है कि आज भी सूबे में आप किसी तरह की विरोधी लहर से नहीं जूझ रही है जबकि अन्य विरोधी दल चुनाव के दाैरान इसी बात को ज्यादा तूल दे रहे थे। आप ने इस चुनाव में भी अपने विकास प्लस पंथक फार्मूले को ही आगे बढ़ाया। इस फार्मूले को और मजबूत आधार उस वक्त मिला जब साल 2002, 2007 और 2012 के विधायक व वरिष्ठ अकाली नेता हरमीत सिंह संधू को आप ने अपने पाले में ले लिया। पंथक राजनीति में हरमीत संधू की मजबूत पैठ मानी जाती है और इसी एजेंडे के बूते वे तीन बार लगातार चुनाव जीते। साल 2017 व 2022 में भी संधू दूसरे स्थान पर रहे। पिछली बार उन्हें आप के दिवंगत विधायक कश्मीर सिंह सोहल ने हराया था मगर इस बार संधू आप के प्रत्याशी हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 12, 2025, 13:14 IST
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