SIR: केरल, तमिलनाडु और बंगाल में SIR पर होगी सुनवाई; राजनीतिक दलों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तय की तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम राजनीतिक की याचिका पर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सुनवाई के लिए तारीख तय की है। इसमें केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की राजनीतिक दल शामिल हैं।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अभिनेता से नेता बने विजय के नेतृत्व वाली तमिलगा वेट्ट्री कझगम (टीवीके) की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी जिसमें तमिलनाडु में विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती दी गई है। यह मामला 4 दिसंबर को अन्य तमिलनाडु से संबंधित लंबित याचिकाओं के साथ सुना जाएगा। यह भी पढ़ें - PM Modi: चक्रवात दित्वाह की तबाही पर पीएम मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति से की बात, हर संभव मदद का दिया भरोसा याचिका में क्या कहा गया है टीवीके की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल शिक्षकों पर बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में काम करने का अत्यधिक दबाव है। उन्हें तय लक्ष्य पूरा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यदि वे लक्ष्य पूरा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 32 के तहत नोटिस भेजे जाते हैं। इस धारा के तहत तीन महीने तक की सजा और नौकरी जाने का खतरा है। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे दबाव के चलते 21 बीएलओ की आत्महत्या का दावा सामने आया है। उन्होंने कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि चुनाव आयोग ने एसआईआर फॉर्म जमा करने की तारीख 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी है। अन्य राज्यों से जुड़े मामले भी कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट अलग-अलग राज्यों से जुड़े एसआईआर विवादों पर अलग-अलग तारीखों पर सुनवाई कर रहा है। इसमें केरल की याचिका पर 2 दिसंबर को, तमिलनाडु की याचिका 4 दिसंबर को, पश्चिम बंगाल की याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी। मंगलवार को अदालत केरल में एसआईआर के खिलाफ सीपीआई की याचिका पर सुनवाई करेगी। केरल सरकार ने भी स्थानीय निकाय चुनावों के कारण एसआईआर को टालने की मांग की है। सीएए से जुड़े शरणार्थियों का मामला भी कोर्ट में बंगाल में बांग्लादेश से आए हिंदू, बौद्ध, ईसाई और जैन शरणार्थियों की ओर से दायर याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। याचिकाकर्ता एनजीओ 'आत्मदीप' की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने कहा, ये शरणार्थी 2014 से पहले धार्मिक उत्पीड़न से बचकर भारत आए थे। लेकिन सीएए के तहत नागरिकता के आवेदन अभी तक प्रक्रिया में नहीं आए हैं। इसलिए उन्हें एसआईआर के दौरान अस्थायी रूप से मतदाता सूची में शामिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकता का मुद्दा सामूहिक रूप से नहीं, बल्कि प्रत्येक मामले के आधार पर देखा जाएगा और इस मामले की विस्तृत सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। यह भी पढ़ें - कर्नाटक: सिद्धारमैया के बाद अब डीके शिवकुमार ने सीएम को बुलाया नाश्ते पर, एक्स पर लिखी यह अहम बात EC के पास चुनाव सूची संशोधन का अधिकार- सुप्रीम कोर्ट इससे पहले, 26 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह तर्क कि एसआईआर पहले कभी नहीं हुआ, चुनाव आयोग के फैसले की वैधता पर प्रश्न उठाने का आधार नहीं हो सकता। चुनाव आयोग को मतदाता सूची की प्रविष्टियों की सत्यता सुनिश्चित करने का अधिकार है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 01, 2025, 18:04 IST
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